साइबर फ्रॉड की सबसे खतरनाक साजिश; नागरिक चीनी, WhatsApp नंबर इंडिया के, ठगी कंबोडिया से, चौंका देगा ग्रेटर नोएडा पुलिस का ये खुलासा

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Cyber Crime : जरा सोचिए अचानक आपके वॉट्सऐप नंबर को किसी बिटकॉइन वाले ग्रुप में जोड़ लिया जाता है. या फिर किसी ऐसे ग्रुप में जिसके जरिए आपको पार्ट टाइम जॉब का ऑफर दिया जाता है. या फिर ऐसे किसी वॉट्सऐप ग्रुप में जिसके जरिए आप कुछ ऑनलाइन काम करके महीने में लाखों रुपये कमा सकते हैं. शुरुआत में ऐसे ग्रुप में जुड़ते ही आपको कुछ लोग कमेंट करके ये भी बताते हैं कि उन्हें इस ऑनलाइन काम या फिर पार्ट टाइम जॉब से काफी फायदा हुआ है. जिससे आपका भरोसा उस पर और बढ़ जाता है. फिर आप भी उसका फायदा उठाने की कोशिश करते हैं और शुरुआत में आपको भी फायदा मिलता है. लेकिन कुछ समय बाद अचानक पता चलता है कि आप एक बड़े ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो रहे हैं. फिर आप उस ग्रुप या जिन लोगों ने आपको ठगी का शिकार बनाया उनके खिलाफ पुलिस कंप्लेंट करते हैं तो बेहद चौंकाने वाली बात सामने आती है. वो हैरान करने वाली बात ये होती है कि जिसने हमें ठगी का शिकार बनाया असल में वो इंडिया में हैं ही नही बल्कि दूसरे देश से फ्रॉड कर रहे हैं. 

ऐसे ही एक शातिर गैंग का उत्तर प्रदेश की ग्रेटर नोएडा बिसरख थाने की पुलिस ने खुलासा किया है. इस गैंग में एक चीनी नागरिक शामिल है. उसके साथ एक नेपाली और एक भारतीय भी गिरफ्तार हुआ है. भले ही ये लोग भारत में गिरफ्तार हुए हैं लेकिन इनके ठगी का बेस कैंप कंबोडिया में था. इनके गैंग के मुख्य साजिशकर्ता कंबोडिया में बैठकर भारत के लोगों से वॉट्सऐप पर संपर्क करते और फिर लाखों-करोड़ों की ठगी को अंजाम देने की तैयारी में जुटे थे. लेकिन उससे पहले ही बिसरख थाने की पुलिस ने इनके ठगी के सपनों को पूरा होने से पहले ही चकनाचूर कर दिया.

पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार आरोपियों में चीनी नागरिक सू यूमिंग (Su Youming) है. ये बिना वीजा के ही नेपाल के रास्ते भारत में अवैध तरीके से दाखिल हुआ था. इसका दूसरा सहयोगी नेपाल से आया अनिल थापा है. जबकि तीसरा आरोपी भारतीय विनोद उर्फ अगस्तया भाटी है. ये ग्रेटर नोएडा के दादरी का रहने वाला है. 

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3 स्टेप में जानिए ये इंटरनेशनल गैंग कैसे भारतीयों को बनाने वाला था ठगी का शिकार

 

1-हमारे पर्सनल डेटा और इंटरेस्ट को करते थे टारगेट

सबसे पहले तो ये गैंग हमारी ई-कॉमर्स कंपनियों से लेकर तमाम कंपनियों से पर्सनल डेटा खरीदकर पर्सनल डिटेल चुरा लेते थे. जैसे हमलोगों के नाम, फोन नंबर, हमारा पेशा और हमारा इंटरेस्ट. यानी हमें शॉपिंग में क्या पसंद है. क्या हम शेयर मार्केट से जुड़े हैं. या फिर किस तरह का हमारा जॉब प्रोफाइल है. इस तरह इस गैंग को हमारी पर्सनल जानकारी और हमारे इंटरेस्ट के बारे में पूरी जानकारी मिल जाती थी. इसके अलावा हमारे खर्च करने के तरीके की भी जानकारी मिल जाती थी. अब इन्हें टारगेट करते हुए ये गैंग उन्हें अलग-अलग उनके इंटरेस्ट को देखते हुए अलग-अलग वॉट्सऐप ग्रुप से जोड़कर लालच देने की तैयारी करता था.

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2-भारतीय नंबरों पर वॉट्सऐप एक्टिवेट करना

अब दूसरे स्टेप में इस गैंग को ये वॉट्सऐप के जरिए लोगों को लालच और नए-नए मोबाइल ऐप से जोड़कर ज्यादा से ज्यादा कमाई और पार्ट टाइम जॉब का ऑफर देना होता है. इसके लिए इस गैंग को भारतीय लोगों के नाम और नंबर से एक्टिवेट वॉट्सऐप चाहिए था. इसलिए चीन से भारत आए शातिर आरोपी ने नेपाली और भारतीय युवक के साथ मिलकर 500 से ज्यादा भारतीय मोबाइल नंबरों पर वॉट्सऐप एक्टिवेट कराए. अब इन एक्टिवेट नंबर को सीधे कंबोडिया में बैठे ठगी के बेस कैंप के शातिरों तक पहुंचा दिया. अब मुख्य ठग भले ही कंबोडिया में बैठे थे लेकिन वो भारतीय नंबरों से भारतीय लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाने की पूरी तैयारी कर चुके थे.

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3- वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़कर ऐसे बनाते थे ठगी का शिकार

आखिरी स्टेप में ये गैंग बिट क्वाइन से लेकर तमाम गेमिंग ऐप, ऑनलाइन शॉपिंग, पार्ट टाइम जॉब समेत कई वॉट्सऐप ग्रुप बनाए. इसके जरिए अलग-अलग कंपनियों से चुराए गए लोगों के पर्सनल डेटा और इंटरेस्ट के जरिए उन लोगों को अलग-अलग वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़कर अपने ठगी के मॉडस ऑपरेंडी को पूरा करने की तैयारी में थे. ये ठग बेहद ही शातिर तरीके से जो 500 से ज्यादा वॉट्सऐप नंबर एक्टिवेट कराए थे उन्हें ही पहले उस ग्रुप में मेंबर बनाकर खुद से ऐसे मैसेज कराते हैं जिससे आम भारतीयों को भरोसा हो जाए कि ये ग्रुप हमारे लिए काफी फायदेमंद है. जिससे वो झांसे में आकर अपनी मेहनत की कमाई लुटाने को तैयार हो जाए. 

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लाखों-करोड़ों रुपये ठगने की तैयारी में था ये शातिर गैंग

इस तरह इन 3 स्टेप के जरिए ये गैंग लाखों-करोड़ों रुपये ठगने की तैयारी में था. लेकिन उससे पहले इनके इंडिया में फर्जी तरीके से सैकड़ों सिमकार्ड एक्टिवेट कराने से लेकर चीनी नागरिक के पूरे शातिर जाल का पता लग गया. जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. अब इस गैंग की मदद करने में शामिल अन्य लोगों के बारे में भी पुलिस पड़ताल करने में जुटी हुई है. 

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