आधुनिक दवाइयों और वैक्सीन के खिलाफ पतंजलि का भ्रामक विज्ञापन, सुप्रीम कोर्ट नाराज, 1 करोड़ का जुर्माना

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supreme court : File Photo
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Patanjali News : सुप्रीम कोर्ट ने आधुनिक दवाओं और टीकाकरण के खिलाफ पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों पर नाराजगी जताई। नाराज कोर्ट ने पतंजलि को चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसा करने पर प्रति विज्ञान एक करोड़ रुपए जुर्माना लगाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि से कहा कि वह कोई भ्रामक विज्ञापन या गलत दावा न करे। पतंजलि को चेतावनी देते हुए कोर्ट ने कहा कि भारी जुर्माना लगाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों से निपटने के लिए एक प्रस्ताव देने को कहा।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि विज्ञापनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। कोविड संकट काल में पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों और उसके स्वामी बाबा रामदेव के बयानों पर आपत्ति जताने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। बाबा रामदेव (Baba Ramdev) के बयानों और विज्ञापनों में एलोपैथी और उसकी दवाओं व टीकाकरण के विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्र की पीठ ने पतंजलि द्वारा एलोपैथ को लेकर भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पतंजलि को फटकार लगाई है।

पीठ ने पतंजलि पर भविष्य में ऐसे विज्ञापनों और बयानों पर भारी जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है। जस्टिस अमानुल्ला ने कहा है कि भविष्य में ऐसा करने पर प्रति उत्पाद विज्ञापन पर एक करोड़ रुपए जुर्माना लगाया जाएगा। कोर्ट ने एलोपैथ की दवाओं और टीकाकरण के खिलाफ पतंजलि द्वारा कोई भी भ्रामक विज्ञापन या गलत दावा न करने को कहा है। कोर्ट ने आगाह किया कि न कोई ऐसा विज्ञापन प्रकाशित किया जाए और न ही मीडिया में कोई बयान दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले को एलोपैथ बनाम आयुर्वेद की बहस नहीं बनाना चाहते हैं। बल्कि याचिकाकर्ताओं ने जो मुद्दा उठाया है उसका समाधान ढूंढना चाहते हैं। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों से निपटने के लिए एक योजना कोर्ट के सामने रखे।

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दरअसल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि द्वारा एलोपैथ के विज्ञापनों के खिलाफ याचिका दाखिल कर उनपर रोक लगाए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है। IMA की तरफ से उन विज्ञापनों पर रोक लगाई जाने और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर अगले साल पांच फरवरी को सुनवाई करेगा।

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