अमेरिका के इस खूंखार LOVER कपल से मिलती है 'रिवॉल्वर' रानी और काला जठेड़ी की प्रेम कहानी

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बड़ी अनोखी और दिलचस्प है काला जठेड़ी और अनुराधा की प्रेम कहानी
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Kala Jathedi and Anuradha Love Marriege: बॉनी एलिजाबेथ पार्कर और क्लाइड चेस्टनट का किस्सा जरायम की दुनिया में बड़ी ही शिद्दत से सुना जाता है। ये ऐसी प्रेम कहानी है, जिसमें ड्रामा भी है, एक्शन भी है और इमोशन भी है। बॉनी और क्लाइड की कहानी दरअसल अमेरिका के दो ऐसे खूंखार लुटेरों का किस्सा है जिन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी महामंदी के दौर में एक दूसरे का हमसफर बनने का इरादा किया था। एक दूसरे का साथ पाने के बाद इन दोनों ने जो तबाही मचाई थी तो अमेरिका की पुलिस पनाह मांग गई थी। ये जोड़ा इतना बेरहम था कि लूट और हत्या से पहले न जगह देखता था, न वक्त और न ही उम्र। बॉनी और क्लाइड की इस अनोखी प्रेम कहानी को लेकर हॉलीवुड में कई फिल्में भी बन चुकी हैं। 

दो खूंखार लुटेरों की प्रेम कहानी

आखिर सवाल उठता है कि हम यहां इन दो अमेरिकी खूंखार लुटेरों का किस्सा क्यूं सुना रहे हैं तो उसकी वजह है कि हम एक बार फिर हिन्दुस्तानी ‘बॉनी’ और ‘क्लाइड’ को शादी का जोड़ा पहनते हुए देखने जा रहे हैं। जी हां हिन्दुस्तानी ‘बॉनी’ का नाम है संदीप उर्फ काला जठेड़ी और ‘क्लाइड’ है राजस्थान की लेडी डॉन अनुराधा चौधरी। ये जोड़ा अगले हफ्ते शादी करने वाला है। और वो भी अदालत से इजाजत मिलने के बाद। तभी तो दोनों की शादी का कार्ड भी छपकर अब तक सोशल मीडिया पर बंट भी गए हैं। 

कोरोना से पहले पनपा प्यार

काला जठेड़ी और अनुराधा की प्रेम कहानी की शुरुआत होती है करीब तीन साल पहले। साल था 2020। ये वही साल है जब पूरी दुनिया को कोरोना ने अपनी चपेट में लिया था। लेकिन इस महामारी के चंगुल में आने से ऐन पहले उस साल के बसंत के महीने में जब पेड़ पौधों पर बौर आ रहे थे, तभी इन दोनों यानी लेडी डॉन अनुराधा चौधरी और गैंग्स्टर काला जठेड़ी के मन में प्यार का बीज पनपना शुरू हुआ था। 

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काला जठेड़ी की 12 मार्च को होगी शादी

वैली ऑफ फ्लॉवर में खिले प्यार के फूल

ये वो दौर था जब दोनों ही कानून के सिपाहियों की नज़रों से बचते बचाते घूम रहे थे। पूरे नौ महीनों तक इस हिन्दुस्तानी बोनी और क्लाइड की जोड़ी ने पुलिसवालों के साथ चूहे बिल्ली का खेल खेला। पुलिस से बचने के लिए दोनों ने उत्तराखंड भाग गए थे। वैली ऑफ फ्लॉवर में दोनों की मुलाकात हुई और फिर दोनों के मन में प्यार की बहार आ गई। इन दोनों के लिए वैली ऑफ फ्लॉवर में बिताए वो दिन फूल खिले हैं गुलशन गुलशन की तरह आज भी शायद महकते हैं। दोनों ही कानून के सिपाहियों के साथ आंख मिचौली का खेलते रहे और कभी नैनीताल, कभी पहाड़ों की रानी मसूरी कभी देहरादून और कभी ऋषिकेश घूमते रहे। कानून के पंजों से खुद को बचाते बचाते ये दोनों कब एक दूसरे के दिलों में समा गए ये तो खुद अनुराधा और काला जठेड़ी को पता ही नहीं चला। अलबत्ता उस भागा दौड़ी के दौरान ये बात दोनों ने जरूर महसूस की कि एक दूसरे के साथ रहने से पुलिस उनके पास भी नहीं फटक पाती। देखते ही देखते दोनों नौ महीनों तक साथ साथ फरार रहे, और पुलिस की आंखों में धूल झोंकते रहे। लेकिन कहते हैं न मौसम बदलता है तो हालात भी बदल जाते हैं। ठीक उसी तर्ज पर कई महीनों तक साथ साथ वक़्त गुजारने के बाद अब दोनों की जुदाई का मौसम आ गया था। जुलाई 2021 में सहारनपुर में काला जठेड़ी आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया। सात लाख के इनामी इस गैंग्स्टर को पकड़ने के बाद पुलिस ने काला जठेड़ी को जेल भेज दिया। और साथ में ही पकड़ी गई रिवॉल्वर रानी अनुराधा चौधरी। ये दोनों उस समय सहारनपुर के अमानत ढाबे में खाना खाने जा रहे थे। 

लेडी डॉन अनुराधा चौधरी की काला जठेड़ी के साथ प्रेम कहानी बेहद दिलचस्प है

पुलिस के जाल में ऐसे फंसे दोनों

वैसे सात लाख के इनामी काला जठेड़ी और अनुराधा चौधरी के पुलिस के हत्थे चढ़ने का किस्सा भी फिल्मी किस्से से कम नहीं है। असल में पुलिस के जाल में फंस कर काला जठेड़ी के दोस्त और गैंग्स्टर लॉरेंस बिश्नोई ने ही एक तरह से पुलिस को उसका पता दे दिया था। जो महीनों तक पुलिस के लिए पहेली बना हुआ था, वो बस एक फोन कॉल के चक्कर में आकर पुलिस के चंगुल में जा फंसा था। 

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जेल और जुदाई 

अब हिन्दुस्तानी बोनी और क्लाइड पुलिस की गिरफ्त में आ चुके थे। जाहिर है  दोनों को अलग अलग जेल में ही रहना था। लेकिन इस जुदाई और जेल की ऊंची ऊंची दीवारों के बावजूद दोनों के बीच प्यार कम नहीं हुआ बल्कि और भी परवान चढ़ता गया। 

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लॉरेंस बिश्नोई का अहम रोल

गिरफ्तारी के बाद न्यायिक हिरासत में दोनों को तिहाड़ जेल के अलग-अलग सेल में बंद कर दिया गया। वैसे भी जेल मैनुअल के हिसाब से महिला और पुरुष बंदियों को अलग-अलग रखा जाता है। पिछले कई महीनों में ये पहला मौका था जब दो प्यार करने वाले बिछड़ रहे थे। लेकिन बाद कुछ दिनों की थी। उसी तिहाड़ में बंद लॉरेंस बिश्नोई ने अब अपने खास गुर्गे काला जठेड़ी को उसकी मुहब्बत से मिलाने का फैसला किया।  

मुलाकातियों की तरह मिलता रहा प्रेमी जोड़ा

तिहाड़ में हर हफ्ते पुरुष और महिला बंदियों की मुलाकात कराई जाती है। ये सिलसिला जब किरण बेदी तिहाड़ की डीजी थी, तभी शुरू हुआ था। दोनों अब मुलाकातियों की तरह मिलने लगे और दोनों का प्यार फिर परवान चढ़ता गया। फिर एक वक्त आया, जब अनुराधा को जमानत मिल गई और वो रिहा हो गई। जेलसे बाहर निकलने के बाद अनुराधा इक मुलाकाती के तौर पर तिहाड़ जाकर काला जठेड़ी से मिलने जुलने लगी।  और दोनों की मोहब्बत का ये सिलसिला फिर से चल पड़ा। 

काला जठेड़ी बना अनुराधा का मुरीद

जेल से बाहर आने के बाद अनुराधा चौधरी ने जो किया उस काम ने काला जठेड़ी को उसका मुरीद ही बना दिया था। जमानत पर जेल से छूटने के बाद अनुराधा कहीं और नहीं गई बल्कि सीधे जठेड़ी के घर जा पहुँची और वहां संदीप के बूढ़े मां बाप की सेवा करने लगी। बिल्कुल एक बहू की तरह। लेकिन कानूनन बहू बनने के लिए ये जरूरी था कि दोनों अब शादी कर लें। पर हालात दोनों की शादी की इजाजत नहीं दे रहे थे। क्योंकि एक जमानती जिंदगी बाहर गुजार रही थी और दूसरे के तो जुर्म की फेहरिस्त ही इतनी लंबी है कि फिलहाल आने वाले कई सालों में उसकी रिहाई की कोई उम्मीद ही नहीं। तो फिर दोनों की शादी कैसे हो? लेकिन फिर अचानक दोनों ने एक रास्ता निकाला। 

ये है काला जठेड़ी और अनुराधा की शादी का कार्ड

और ऐसे मिली शादी की इजाजत

बैचलर इन कंप्यूटर एप्लिकेशन यानी बीसीए कर चुकी अनुराधा जमानत पर बाहर आने के बाद से ही अब कानून की पढ़ाई कर रही है। मकसद साफ है वकील बन कर जठेड़ी की केस में मदद करना। शादी का इरादा दोनों पहले ही कर चुके थे। बात कानूनी रुकावट की थी, तो आने वाले वक़्त की वकील अनुराधा ने इसका हल निकाला। दोनों ने अदालत में शादी करने की अर्जी डाल दी। दोनों के वकील ने अदालत में जबरदस्त दलील दी। दलील ये कि भारतीय संविधान के आर्टिकल 21 के तहत शादी उनका बुनियादी अधिकार है। अगर उन्हें शादी की इजाजत नहीं दी गई, तो ये उनके संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन होगा। पुलिस के वकीलों ने भी अपनी तरफ से दलील दी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद द्वारका कोर्ट के एडिशनल सेशन जज दीपक वासन ने 1 मार्च को अपना फैसला सुनाया। अदालत ने अनुराधा और काला जठेड़ी की शादी के लिए 12 मार्च की तारीख तय की। कोर्ट ने कहा, 12 मार्च को सुबह दस बजे से शाम के चार बजे तक शादी की तमाम रस्में पूरी हो जानी चाहिए। और इसके लिए काला जठेड़ी को 12 मार्च को यानी उसकी शादी के दिन छह घंटे के पेरोल पर रिहा करने का हुक्म दे दिया। शादी के अलावा कोर्ट ने 13 मार्च को भी तीन घंटे के लिए जठेड़ी को पेरोल पर रिहा करने का हुक्म दिया है। सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक पेरोल पर 13 मार्च को ये तीन घंटे की रिहाई जठेड़ी और अनुराधा को गृह प्रवेश के लिए दी गई है। साथ ही अदालत ने जठेड़ी के पुराने इतिहास को देखते हुए पुलिस को भी ये हुक्म दिया है कि वो अपनी बेस्ट टीम को दोनों दिन जठेड़ी के साथ लगाए, ताकि वो भाग ना जाए।

मुहुर्त अदालत ने मुकर्रर कर दिया

बस फिर क्या था? दूल्हा दुल्हन तो पहले से तैयार बैठे थे। तारीख, वक़्त और मुहुर्त अदालत ने मुकर्रर कर दिया। लिहाजा आनन-फानन में कार्ड भी छप गए। अब काला जठेड़ी के गांव में शादी की तैयारियां भी शुरू हो चुकी थी। लेकिन 3 मार्च को अचानक जठेड़ी के चाचा की मौत हो गई। उनकी तेरहवीं दस को है। लिहाज़ा शादी की तैयारी 11 से शुरू होगी। 11 को मेहंदी है और 12 को बारात। बारात दिल्ली के द्वारका में जाएगी। सूत्रों के मुताबिक शादी में सिर्फ जठेड़ी और अनुराधा के करीबी लोग ही शामिल होंगे। दुश्मनों की लंबी चौड़ी लिस्ट को देखते हुए पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच पहले शादी और फिर गृह प्रवेश की रस्में पूरी होगी। 12 मार्च को शादी के बाद शाम 4 बजे काला जठेड़ी अपनी दुल्हन को छोड़ कर शादी के मंडप से सीधे वापस तिहाड़ पहुंच जाएगा।

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