सुब्रत रॉय उर्फ 'सहाराश्री' का सफर गोरखपुर से शुरु हुआ और एंबी वैली से होता हुआ तिहाड़ पर जाकर थमा

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एक वो भी दौर था जब सुब्रत रॉय की शोहरत बुलंदी पर थी और आस पास सितारों की महफिल
एक वो भी दौर था जब सुब्रत रॉय की शोहरत बुलंदी पर थी और आस पास सितारों की महफिल
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Sahara Shree Subrata Roy passes away: सुब्रत राय सहारा। ये नाम अब किसी भी तार्रुफ का मोहताज तो कतई नहीं है। कारोबारियों के बीच में ये नाम किसी दौर में किसी धूमकेतु की तरह उभरा और देखते ही देखते शोहरत की बुलंदी पर इस कदर रोशन हुआ कि अपने दौर के तमाम सितारों को अपने दरबार का हिस्सा ही बना लिया था। एक दौर ऐसा था कि उनके कसीदे पढ़ने के लिए उस दौर के तमाम बड़े लोग और तमाम बड़ी हस्तियां लाइन लगाकर उनके इर्द गिर्द खड़े नज़र आते थे लेकिन एक ऐसा दौर भी देखा गया है  जब उनका नाम जुबां पर आते ही लोग महफिल छोड़कर चले जाया करते थे। 

सुब्रत रॉय सहारा का मुंबई में निधन

 एक विशाल साम्राज्य

सुब्रत राय ने एक विशाल साम्राज्य तैयार किया। फाइनेंस, रियल स्टेट, मीडिया और हॉस्पिटेलिटी जैसे क्षेत्रों में उनका दबदबा हो गया था। 1978 में सुब्रत रॉय ने सहारा इंडिया परिवार समूह की बुनियाद रखी थी। 

कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में आखिरी सांस ली

14 नवंबर 2023 को सहारा इंडिया की नींव रखने वाले सुब्रत रॉय का 75 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई की कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में आखिरी सांस ली। सहारा इंडिया ग्रुप की तरफ से जारी किए गए बयान में बताया गया कि सुब्रत रॉय का कार्डियो अरेस्ट के बाद मंगलवार को रात 10.30 बजे निधन हो गया। वो हाइपरटेंशन और मधुमेह जैसी बीमारियों से जूझ रहे थे। उनकी सेहत लगातार खराब हो रही थी। जिसकी वजह से उन्हें 12 नवंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बिहार के अररिया जिले में 10 जून 1948 को सुब्रत रॉय का जन्म हुआ था। 

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छोटी रकम को जमा करने से शुरुआत

1976 में सुब्रत रॉय ने रिक्शा चलाने वालों, कपड़े धोने वालों और टायर के पंचर बनाने वालों से रोजाना 20 रुपये की छोटी रकम को जमा करने से अपनी चिटफंड कंपनी की शुरुआत की थी। और धीरे धीरे उनका कारोबार और प्रभाव इस कदर बढ़ा कि भारतीय हॉकी टीम और क्रिकेट की टीम इंडिया के वो प्रायोजक तक बन गए। फॉर्मूला वन रेसिंग और फोर्स इंडिया जैसी बड़ी और आलीशान प्रतियोगिता में उनकी हिस्सेदारी रही। 

सहारा परिवार की तरफ से जारी बयान जिसमें सुब्रत रॉय के मरने की पुष्टि की गई है

मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की

सुब्रत रॉय ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। लेकिन 1976 में बहुत छोटे स्तर से चिटफंड कंपनी की शुरूआत की और बाद में सहारा फाइनेंस का अधिग्रहण तक किया। 1978 तक सुब्रत रॉय ने अपनी चिटफंड कंपनी ही चलाई। लेकिन आगे चल कर उन्होंने जब सहारा फाइनेंस का अधिग्रहण कर लिया तो उसे सहारा इंडिया परिवार में बदल दिया। और यही सहारा इंडिया परिवार आगे चलकर भारत के सबसे बड़े कारोबारी घराने के तौर पर बना। 

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1992 में हिन्दी का समाचार पत्र राष्ट्रीय सहारा लॉन्च किया

सुब्रत रॉय की देख रेख में ही सहारा ने कई कारोबार में हाथ आजमाया और विस्तार किया। इसी सहारा परिवार ने 1992 में हिन्दी का समाचार पत्र राष्ट्रीय सहारा लॉन्च किया था। 1990 के अंत तक आते आते सहारा परिवार ने पुणे के पास एक बेहद महत्वाकांक्षी एम्बी वैली सिटी परियोजना की शुरूआत की और सहारा टीवी के साथ टेलीविजन के क्षेत्र में कदम रखा। जो बाद में सहारा वन के नाम से पहचाना गया। साल 2000 में सहारा ने लंदन में ग्रोसवेनर हाउस होटल और न्यूयॉर्क शहर के प्लाजा होटल जैसी जानी मानी प्रॉपर्टी के अधिग्रहण के साथ ही सारी दुनिया के मीडिया में सुर्खियां बटोरी। 

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सुब्रत रॉय के साथ नाम जोड़ना एक दौर में बड़े नामों का फैशन हो गया था

टाइम पत्रिका ने कवर पेज में नाम दिया

एक वक्त ऐसा भी था जब टाइम पत्रिका ने सहारा इंडिया परिवार को भारतीय रेलवे के बाद भारत में दूसरे सबसे बड़े नियोक्ता के रूप में पहचान दी थी। क्योंकि उस वक़्त सहारा समूह में करीब 12 लाख कर्मचारी काम करते थे और सहारा इंडिया समूह का ये भी दावा था कि उसके पास 9 करोड़ से अधिक निवेशक हैं। 

कानूनी चुनौतियों का भी सामना 

तमाम विवादों और देनदारियों की वजह से सुब्रत रॉय सहारा को कानूनी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा था। साल 2014 में सुब्रत रॉय की गिरफ्तारी हुई थी। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी SEBI के साथ एक विवाद के सिलसिले में अदालत में उपस्थित न होने की वजह से उन्हें हिरासत में लेने का आदेश हुआ था। जिसकी वजह से उन्हें एक लंबी क़ानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ी और तिहाड़ जेल भी जाना पड़ा। बाद में पैरोल पर उनकी रिहाई मुमकिन हो सकी। बताया जा रहा है कि दरअसल ये पूरा मामला सेबी की सहारा से निवेशकों के अरबों रुपये वापस करने की मांग को लेकर था। 

कई पुरस्कार और सम्मान 

सुब्रत रॉय की कानूनी परेशानियों का उनके निजी कारोबार और कारोबार में उनके योगदान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान भी मिले, जिनमें ईस्ट लंदन विश्वविद्यालय से बिजनेस लीडरशिप में मानद डॉक्टरेट की उपाधि और लंदन में पॉवरब्रांड्स हॉल ऑफ फेम अवार्ड्स में बिजनेस आइकन ऑफ द ईयर जैसे पुरस्कार शामिल है।  इतना ही नहीं इंडिया टुडे की भारत के सबसे शक्तिशाली लोगों की सूची में भी सुब्रत रॉय का नाम नियमित रूप से शामिल किया गया था

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