ED के सवालों के सामने 3 घंटे तक बैठे रहे राहुल गांधी, नेशनल हेराल्ड मामले में शुरू हुई पूछताछ

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National Herald Case: नेशनल हेराल्ड (National Herald) मामले में आखिरकार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के सवालों के सामने आ ही गए। 13 जून को सुबह क़रीब साढ़े 11 बजे राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशायल यानी ED ने सवाल पूछने का सिलसिला शुरू किया और ये सिलसिला क़रीब 2.30 बजे तक चलता रहा।

जिस दौरान राहुल गांधी से सवाल जवाब किए जा रहे थे, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने ED मुख्यालय के सामने जोरदार धरना प्रदर्शन किया।

ED ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉंड्रिंग एक्ट की धारा 50 के तहत पूछताछ की। ये पूछताछ क़रीब तीन घंटे से ज़्यादा वक़्त तक चली। और पहला राउंड पूरा होने के बाद राहुल गांधी को दोपहर के खाने के लिए लिए बाहर जाने की इजाज़त दे दी गई। जिस दौरान राहुल गांधी से ED मुख्यालय पर सवाल जवाब किए जा रहे थे। प्रदर्शन पर उतारू कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने तुगलकरोड़ थाना में हिरासत में ले लिया गया था। हिरासत में लिए गए कांग्रेस के कई बड़े नेताओँ से मिलने के लिए राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा पहुंची।

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लंच के लिए प्रवर्तन निदेशालय मुख्यालय से निकलने के बाद राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती अपनी मां सोनिया गांधी को देखने के लिए पहुँचे।

National Herald Case: असल में ये पूरा मामला कुछ इस तरह है कि नेशनल हेराल्ड अखबार पर कांग्रेस पार्टी का मालिकाना हक है। इस अखबार की देख रेख और इसकी ज़िम्मेदारियों को कांग्रेस पार्टी ही देखती रही है। असल में 1937 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड की स्थापना की थी। और उसी संस्था के तहत तीन अखबारों का प्रकाशन शुरू किया गया था।

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हिन्दी का अखबार नवजीवन, उर्दू का अखबार क़ौमी आवाज़ और अंग्रेजी का अखबार नेशनल हेराल्ड अखबार प्रकाशित होते थे। लेकिन साल 2008 में एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड के बोर्ड ने अखबार न छापने का फैसला किया था। बताया तो ये भी जाता है कि अपने ऊपर चढ़े कर्ज़ की वजह से AJL ने ये फैसला किया था।

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कहा जाता है कि साल 2010 में कांग्रेस ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक कंपनी बनाई जिसमें कांग्रेस ने 50 लाख रुपये का निवेश किया था। कंपनी का मकसद लाभ कमाने का नहीं था। और इस कंपनी में 76 फीसदी की हिस्सेदारी राहुल गांधी और उसकी मां सोनिया गांधी की थी जबकि बाकी बचे 24 फीसदी के हिस्से पर मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिज़ का अधिकार था। और इत्तेफ़ाक़ से अब ये दोनों ही इस दुनिया में नहीं हैं। यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड यानी YIL ने एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड का अधिग्रहण किया था। सुमन दुबे और सैम पित्रौदा को इस YIL का निदेशक बनाया गया था।

Action of Enforcement Directorate: यहां तक तो किसी को कोई दिक्क़त नहीं हुई। लेकिन साल 2012 में भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी इस मामले को लेकर अदालत पहुँच गए और एक जनहित याचिका दाखिल की। अपील यही थी कि कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड अखबार छापने वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड के अधिग्रहण में धोखा किया है। याचिका में दावा किया गया था कि महज 50 लाख रुपये लगाकर 90 करोड़ रुपये की वसूली की गई है।

सुब्रमण्यम स्वामी ने इनकम टैक्स एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी भी थर्ड पार्टी के साथ पैसों का लेन देन नहीं कर सकती। स्वामी का दावा था कि कांग्रेस ने पहले यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड यानी YIL को 90 करोड़ रुपये का कर्ज दिया और फिर उन्हीं पैसों से कंपनी AJL का अधिग्रहण कर लिया।

Congress under cage: ये बात यहीं ख़त्म नहीं हुई बल्कि कंपनी के बही खाते में भी गड़बड़ी की गई है। अकाउंट बुक्स में हेराफेरी करके उस रकम को ही 50 लाख में तब्दील कर दिया, और 89 करोड़ 50 लाख रुपये हड़प कर लिए।

प्रवर्तन निदेशालय के भेजे गए समन पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी को नोटिस दिया गया है। उन्होंने कहा कि ये नेशनल हेराल्ड की किस्मत ही है जब 1942 में शुरू हुआ था तब अंग्रेजों ने इस अखबार को दबाने की भरसक कोशिश की थी। और आज वैसी ही कोशिश मौजूदा भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है।

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