बाबा रामदेव अदालत में हाजिर हों..., SC ने थमाया अवमानना का नोटिस, ये है वजह

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बाबा रामदेव के साथ आचार्य बालकृष्ण को अदालत में हाजिर होने का हुक्म
बाबा रामदेव के साथ आचार्य बालकृष्ण को अदालत में हाजिर होने का हुक्म
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Supreme Court Baba Ramdev: बाबा रामदेव को कौन नहीं जानता। रामदेव को उनके योगाभ्यास के लिए जाना जाता है। टीवी के चौनलों में बहस में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने के मामले में भी उनकी अलग पहचान है। छोटे पर्दे पर टीवी एंकरों के साथ हंसी मजाक करने के सिलसिले में भी बाबा रामदेव को लोग जान चुके है। किस्म किस्म की बीमारी को अपनी जड़ी बूटियों के जरिए मेडिकल साइंस तक को खुली चुनौती देने वाले बाबा रामदेव का वो चेहरा शायद ही कोई भूल सके। लेकिन इस वक़्त बाबा रामदेव के लिए कोर्ट से टेर लगाई जा रही है। देश की सबसे बड़ी अदालत का समन जारी हुआ है जिसमें कहा गया है कि बाबा रामदेव और उनके साथी आचार्य बालाकृष्ण हाजिर हों। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को 2 अप्रैल को सुबह 10:30 बजे कोर्ट रूम 11 में बुलाया गया है।

सबसे बड़ी अदालत का रुख जरा सख्त 

बाबा रामदेव औरउनके पतंजलि को लेकर इन दिनों एक विवाद चल रहा है। दरअसल बात ये है कि पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत का रुख जरा सख्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के विज्ञापनों को भ्रामक बताते हुए उन्हें प्रतिबधित कर दिया। साथ ही इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और उनके साथ पतंजिल का सारा कारोबार देखने वाले आचार्य बालकृष्ण को साक्षात अदालत में हाजिर होने का हुक्म दिया था। लेकिन बाबा रामदेव ने अदालत के इस आदेश का पालन नहीं किया। लिहाजा अब देश की सबसे बड़ीअदालत ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण के खिलाफ अदालत ने एक नोटिस थमाकर खुद पूछा है कि क्यों न अदालत आप दोनों के खिलाफ अवमानना का केस चलाए। 

सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अदालत में हाजिर होने को कहा

इंडियन मोडिकल एसोसिएशन की शिकायत

दरअसल, इंडियन मोडिकल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों को भ्रामक बताते हुए याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद से जुड़े विज्ञापन के मामले पर सुनवाई के दौरान पतंजलि संस्था के विज्ञापन प्रकाशित करने पर भी पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया। 

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रामदेव के साथ बालकृष्ण को भी बुलाया

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी से पूछा कि आपने अभी तक जवाब दाखिल क्यों नहीं किया है? अब हम आपके मुवक्किल को अदालत में पेश होने के लिए कहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रामदेव को भी पक्षकार बनाएंगे। रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दोनों को अदालत में पेश होना ही होगा। 

पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत हुई सख्त

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भी फटकार

देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि हम इस मामले की सुनवाई टालने नहीं जा रहे हैं। ऐसे में ये बात बिल्कुल साफ है। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भी आड़े हाथों ले लिया। मंत्रालय को फटकार लगाते हुए कहा कि एक दिन पहले क्यों जवाब दाखिल किया गया? इस पर केंद्र ने अदालत को बताया कि उन्हें समुचित जवाब देने के लिए और समय चाहिए। 

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कोर्ट ने थमाया अवमानना का नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पतंजलि के MD को अगली सुनवाई पर अदालत में पेश होना होगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी रामदेव को भी नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न कोर्ट की अवमानना के तहत मुकदमा चलाया जाए।  इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन के मामले में पतंजलि आयुर्वेद को कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया था। ये नोटिस पतंजलि आयुर्वेद के अलावा आचार्य बालकृष्ण को भी दिया गया। असल में दोनों से तीन सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था, लेकिन इसका जवाब नहीं दिया गया। 

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विज्ञापनों पर रोक लगाने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट पतंजलि के उत्पादों को लेकर पहले ही फटकार लगा चुका है। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए अमानुल्लाह की पीठ ने पहले के आदेशों का पालन न करने के लिए उन्हें जमकर फटकार लगाई थी। पिछले साल ही सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को विज्ञापनों पर रोक लगाने का आदेश दिया था। नवंबर महीने में कोर्ट ने पतंजलि से कहा था कि अगर आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो जांच के बाद कंपनी के तमाम प्रोडक्ट्स पर एक-एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का आरोप 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का आरोप है कि पतंजलि ने कोरोनाकाल के समय कोविड-19 वैक्सीनेशन को लेकर एक अभियान चलाया था। तब अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद कर दे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन से एलोपैथी दवाइयों को नज़रअंदाज किया जा रहा है। आईएमए का कहना था कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है और ये ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का सीधा उल्लंघन है। पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। बाबा रामदेव और बालकृष्ण के इस दावे के बाद कंपनी को स्वास्थ्य मंत्रालय ने फटकार लगाई थी और इसके विज्ञापनों को तुरंत रोकने को कहा था।

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