30 साल बाद ऐसे सुलझी एक कॉलगर्ल की मर्डर मिस्ट्री, चाकू से 140 वार किए थे
30 Old Murder Mystery: लंदन पुलिस ने 30 साल पुरानी मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने में कामयाबी हासिल की। इस सिलसिले में एक भारतीय मूल के शख्स को गिरफ्तार किया है जिसके एक बाल ने उसे सलाखों के पीछे पहुँचा दिया।
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![30 साल बाद ऐसे सुलझी एक कॉलगर्ल की मर्डर मिस्ट्री, चाकू से 140 वार किए थे सांकेतिक तस्वीर](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/crimetak/images/story/202403/1711535904147_marina_-5_converted_16x9.jpg?size=948:533)
30 Old Murder Mystery: 8 अगस्त 1994। वो सोमवार की रात थी। लंदन की मेट्रोपॉलिटिन पुलिस के वेस्टमिंस्टर पुलिस स्टेशन पर अचानक एक फोन आता है। फोन करने वाले शख्स की आवाज कांप रही थी। लेकिन फोन पर उस शख्स ने जो कुछ कहा उसे सुनकर अब पुलिस के होश फाख्ता हो गए थे। उस शख्स ने पुलिस को बताया कि उसके ही घर में उसकी पत्नी की हत्या हो गई है।
पुलिस को मिली मर्डर की खबर
इतना सुनकर पुलिस बिना देरी किए मौका-ए-वारदात की तरफ रवाना हो गई। मौके पर पहुँचते ही पुलिस ने पूरा मकान पहले अपने घेरे में लिया और फिर घर में दाखिल हुई। घर में घुसते ही पुलिस के होश उड़ गए क्योंकि चारो तरफ सिर्फ खून ही खून नज़र आ रहा था। फर्श से लेकर बेडरूम की चादर तक खून से लथपथ थी। चारो तरफ खून देखकर पुलिस भी सन्न रह गई। बेडरूम में पुलिस ने देखा तो वहां एक महिला की लाश पड़ी हुई थी जो पूरी तरह से खून से लथपथ थी। उसके जिस्म के कई हिस्सों पर गहरे जख्मों के निशान से भी खून रिस रहा था।
कमरे में नहीं मिला कातिल का सुराग
पुलिस ने लाश को देखने के बाद पूरे कमरे और पूरे घर को अपनी आंखों से खंगालना शुरू किया। पुलिस को सिवाय खून के और कुछ ऐसा नहीं दिखा जो खटके। किचन में एक बैग जरूर दिखाई पड़ा। इसके अलावा पुलिस को न तो कोई हथियार नज़र आया जिससे कातिल ने घर के भीतर खून की होली खेली थी और न ही कोई ऐसा सुराग जिससे कातिल का अंदाजा मिल सके।
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महिला की हो गई पहचान
पुलिस के साथसाथ मौके पर पहुँची फॉरेंसिक टीम ने भी मौके से निशान को उठाना शुरू किया। फॉरेंसिक टीम ने मौके से जो निशान उठाए उनमें जो बैग पुलिस को किचन में मिला था उस पर जरूर कई लोगों के उंगलियों के निशान दिखे। पुलिस को कत्ल की गई महिला की पहचान करने में भी ज़्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी क्योंकि उस महिला का पति वहीं पुलिस के पास मौजूद था। महिला का नाम मरीना कॉपेल थी। और वो पेशे से कॉलगर्ल थी। मरीना शादीशुदा भी थी। लेकिन पति के साथ अनबन होने की वजह से दोनों अलग अलग ही रहते थे। मगर दोनों के बीच इतना प्यार बाकी था कि वो हफ्ते में एक दिन साथ रहते थे। तो अक्सर मरीना अपने पति के घर आ जाती थी।
पति से पहली बार ऐसे मिली मरीना
मरीना और उसके पति डेविड के साथ उनकी मुलाकात 1983 यानी 11 साल से पहले एक कैसीनो में हुई थी। उस समय मरीना वहां कैसीनो में क्लीनिंग स्टॉफ के तौर पर काम कर रही थी। उसी दौरान उसकी डेविड के साथ पहली मुलाकात हुई थी और फिर दोनों के बीच मुलाकात का सिलसिला चल निकला। दोनों करीब करीब रोज रोज मिलने लगे और दोनों के बीच एक दूसरे के लिए चाहत पैदा हो गई। लिहाजा दोनों ने अपने इस रिश्ते को नाम दे दिया और शादी कर ली।
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कॉल गर्ल के पेशे में आई
शादी के कुछ अरसा बाद ही मरीना ने होटल की नौकरी छोड़ दी और पहले एक मसाज सेंटर में काम किया और फिर कॉल गर्ल के पेशे में उतर गई। हालांकि डेविड को मरीना का कॉल गर्ल का पेशा पसंद नहीं था। और वो उसे रोक भी नहीं सकता था, लिहाजा दोनों एक दूसरे से अलग अलग रहने लगे। कोलंबिया की रहने वाली मरीना के दो बच्चे भी थे लेकिन उसने अपने बच्चों को अपने माता पिता के पास कोलंबिया में भेज दिया था। और अपने माता पिता के साथसाथ बच्चों के लिए वो खर्च के पैसे भेजती थी। सब कुछ ठीक ठाक था। अपने कॉल गर्ल के पेशें में उसके कस्टमर हर तरह के लोग थे। उसमें नामी डॉक्टर, बड़े वकील, और यहां तक इंग्लैंड के बड़े बड़े नेता भी शामिल थे। मरीने दो बेडरूम के फ्लैट में अकेले रहती थी और उस फ्लैट का एक कमरा उसने अपने कस्टमरों के लिए रखा था।
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पति से झगड़कर घर लौटी
डेविड और मरीना की जिंदगी एक रोजमर्रा के ढर्रे पर चल रही थी। तयशुदा कार्यक्रम के मुताबिक वो कत्ल से एक रोज पहले संडे यानी 7 अगस्त को वो अपने पति डेविड के घर गई थी, मगर किसी बात पर दोनों के बीच जमकर बहस हुई तो मरीना डेविड का घर छोड़कर वापस लौट आई। रास्ते में उसने कुछ शॉपिंग की और होटल में एक कस्टमर से मिलकर वापस अपने फ्लैट पर आकर सो गई।
कमरे में खून से लथपथ मरीना की लाश
अगले रोज यानी 8 अगस्त की सुबह मरीना और डेविड के बीच फोन पर बात हुई और दोनों के बीच बीती रात हुए झगड़े की बात दोनों सुलझा ली थी। दोपहर के वक़्त डेविड ने एक बार फिर मरीना को फोन मिलाया मगर उसने फोन नहीं उठाया। उसके बाद दोपहर से शाम तक डेविड ने कई बार फोन मिलाया, मगर मरीना ने एक बार भी फोन नहीं उठाया। रात के जब नौ बज गए और मरीना का न तो फोन मिला और न ही मरीना की तरफ से कोई जवाब आया तो डेविड को चिंता हुई और वो मरीना का पता लगाने के लिए उसके फ्लैट तक पहुँच गया। फ्लैट पहुँचते ही डेविड के होश गुम हो गए क्योंकि मरीना की लाश क्लाइंट वाले कमरे में खून से लथपथ हालत में पड़ी थी।
आखिर कातिल है कौन?
तब डेविड ने पुलिस को इस कत्ल की इत्तेला की। और मौके पर पहुँची पुलिस ने अपनी तफ्तीश शुरू की। अब पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल यही था कि आखिर कातिल है कौन? मरीना की किचन में जो बैग मिला उसमें किस किस के उंगलियों के निशान थे? आखिर कत्ल का क्या मकसद हो सकता है? पुलिस को मौके से कोई ऐसा सुराग नहीं मिला था जिससे ये पता लगाया जा सके कि आखिर ये कत्ल किसने किया और क्यों किया?
चाकू से किए गए 140 वार
पुलिस को जिस कमरे में मरीना की लाश मिली थी वो असल में उसके कस्टमर का कमरा था। यानी उस कमरे में उसके कस्टमर आते थे और वहीं से वापस चले भी जाते थे। पुलिस को ये भी पता चल गया कि मरीना के पास अक्सर उसके रेगुलर कस्टमर ही आते थे। इसी वजह से उसके उस कमरे में कई लोगों की उंगलियों के निशान पुलिस को मिले थे। इसी बीच पुलिस को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी मिल गई। जिससे ये पता चल गया कि मरीना का मर्डर शाम 5 बजे से लेकर रात 11 बजे के बीच हुआ। पुलिस को ये भी पता चल चुका था कि मरीना के शरीर पर चाकू के करीब 140 वार किए गए थे। पुलिस की समझ में नहीं आया कि कातिल किस कदर वहशी था वो ताबड़तोड़ चाकू से वार करता ही रहा। ऐसी क्या बात थी और ऐसी कैसी नफरत थी कि कातिल ने चाकू से इतने वार किए।
पुलिस के लिए बन गई मर्डर मिस्ट्री
अब पुलिस एक डेडएंड पर आकर खड़ी हो गई। न तो उसके पास कातिल का कोई सुराग। न ही मौका-ए-वारदात से कोई ऐसी लीड मिल रही थी जो पुलिस को कातिल तक पहुँचा सके। जाहिर है अंधेरे में लाठी पीटते पीटते जब पुलिस थक गई तो केस की फाइल को फिलहाल ड्रॉवर में पीछे की तरफ रख दिया गया। वक्त गुजरता जा रहा था लेकिन मरीना का मर्डर अब तक लंदन पुलिस के लिए एक मिस्ट्री बन चुका था। करीब करीब 14 साल गुज़र गए, लेकिन मरीना का कातिल और न ही उसकी कोई परछाई पुलिस को मिल सकी।
दोबारा खोली मर्डर की फाइल
इसी बीच मेट्रोपोलिटन पुलिस स्टेशन पर एक नए पुलिस अफसर की भर्ती हुई। उसने जब पुलिस के कुछ अनसुलझे केस पर नज़र दौड़ाई तो उसे मरीना मर्डर केस की फाइल दिखाई पड़ी। इस केस में निजी तौर पर दिलचस्पी दिखाकर उस अफसर ने इस केस को दोबारा खोलने और उसकी तहकीकात फिर से करने का इरादा किया। पुलिस ने जितने भी सुराग और सबूत मौका-ए-वारदात से इकट्ठा किए थे उन सभी को उस अफसर ने फिर से गौर से देखना शुरू किया। तभी उसकी और एक एक्सपर्ट की नजर एक ऐसे सुराग पर गई जिस पर उस वक़्त किसी भी पुलिस वाले का ध्यान नहीं गया था। उस पुलिस अफसर ने देखा कि फोटोग्राफ्स में मरीना की उंगुठी में एक बाल फंसा हुआ है। उस अफसर ने मौके का मुआयना करने वाले पुलिस अफसर की रिपोर्ट को देखा तो उसमें भी साफ साफ लिखा था कि मर्डर के वक्त मरीना ने एक अंगूठी पहन रखी थी।
डीएनए टेक्नोलॉजी
हालांकि वो पुलिस अफसर इस बात को समझ गया कि जिस वक्त का ये केस है उस समय डीएनए टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस नहीं थी कि किसी बाल से कातिल का पता लगाया जा सके। साथ ही पुलिस के पास ऐसे प्रोफेशनल्स भी नहीं थे जो एक बॉल से मुजरिम का पता लगा सकें। उस पुलिस अफसर ने बाल का डीएनए करवाया। मगर उसके पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं मिला जिससे वो उस डीएनए का मिलान कर सके। जांच एक बार फिर धीमी पड़ गई। और एक बार फिर वक्त गुजरने लगा।
एक अजीब इत्तेफाक
इसी बीच 14 सितंबर 2013 को लंदन पुलिस के सामने एक केस आया। पुलिस के पास एक फोन आया। वो फोन एक महिला ने किया था। उसकी शिकायत यही थी कि उसके बॉयफ्रेंड ने उसके साथ मार पीट की है। मौके पर पहुँची पुलिस को महिला की हालत देखकर तरस आ गया क्योंकि उसके बॉयफ्रेंड ने उसे बुरी तरह पीटा था उसका चेहरा बुरी तरह से लहुलुहान था।
भारतीय के खिलाफ मारपीट की शिकायत
महिला की शिकायत के बाद पुलिस ने उसके बॉयफ्रेंड को पकड़ लिया। उस बॉयफ्रेंड की पहचान संदीप पटेल के नाम पर हुई। जो भारतीय मूल का है। महिला की शिकायत के बाद पुलिस ने इस मामले को संगीन समझा और संदीप को गिरफ्तार कर लिया। लंदन पुलिस संगीन मामलों में जो भी टेस्ट करवाती थी उसे डीएनए रिकॉर्ड का भी हिस्सा बना लेती थी। लिहाजा संदीप की भी डीएनए रिपोर्ट डीएनए डेटाबेस का हिस्सा बन गई। अब डीएनए टेक्नॉलॉजी काफी एडवांस हो चुकी थी। लिहाजा जिस वक़्त लंदन की पुलिस संदीप और उसकी गर्लफ्रेंड के बीच की मार पिटाई का केस को सुलझाने की कवायद कर रही थी तभी पुलिस को एक बार फिर मरीना मर्डर केस की फाइल दोबारा खोलनी पड़ी। क्योंकि उस फाइल में भी एक डीएनए रिपोर्ट थी जिसका किसी से कोई मिलान नहीं हुआ था। लिहाजा नए डीएनए डेटा को उस पुराने रिकॉर्ड के साथ मिलाया गया। डीएनए की जो रिपोर्ट सामने आई तो सभी हैरान रहे गए क्योंकि वो डीएनए प्रोफाइल किसी और का नहीं बल्कि संदीप पटेल का ही था। लिहाजा पुलिस ने उस डीएनए रिपोर्ट के साथ साथ मौके पर मिले पैरों और दूसरे निशानों के सबूत कोर्ट में पेश कर दिए।
कत्ल की कहानी सुनकर सभी चौंके
अब पुलिस को ये पता लगाना था कि क्या वाकई संदीप ने ही मरीना का कत्ल किया? और अगर हां तो क्यों? संदीप की कुंडली खंगालने में पुलिस को ज्यादा वक़्त नहीं लगा। लेकिन जो मरीना के कत्ल की कहानी सामने आई उसने सभी को बुरी तरह चौंका कर रखदिया। जिस समय मरीना का कत्ल हुआ उस समय पुलिस की तफ्तीश के मुताबिक संदीप 22 साल का था। संदीप के पिता एक न्यूज एजेंसी चलाते थे और संदीप उसी न्यूज एजेंसी में काम भी करता था। लेकिन उसे इतना पैसा नहीं मिलता था कि वो मरीना जैसी हाईफाई कॉलगर्ल को उसकी रकम अदा कर सके। मरीना उस वक्त अपने एक ग्राहक से करीब 80 पाउंड की रकम वसूल करती थी जो इन दिनों 8400 रुपये के बराबर होगी।
रकम इकट्ठा करके पहुँचा
पुलिस ये तो पता लगाने में कामयाब हो गई कि संदीप आखिर मरीना के ही पास क्यों पहुँचा। पुलिस की तफ्तीश का खुलासा यही है कि संदीप को अपने से बड़ी उम्र की कॉल गर्ल के साथ जाना बहुत पसंद था। इसी बीच एक होटल में उसकी नज़र मरीना पर पड़ी तो उसने उसके रेट पता किए। जो कि उसकी जेब के मुकाबले ज्यादा थे। तब संदीप ने वो रकम इकट्ठा की और मरीना के पास उसके फ्लैट पर पहुँच गया।
पुलिस की थ्योरी पर आजीवन कैद
लेकिन यहां पहुँचकर पुलिस की जांच फिर थम जाती है। क्योंकि संदीप ने अपना मुंह सिल रखा है उसने इस बारे में कुछ भी किसी को नहीं बताया। बस पुलिस संदीप की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर एक थ्योरी तैयार कर रही है जिसके मुताबिक मरीना के पास पहुँचने के बाद संदीप पटेल अपनी हसरत पूरी नहीं कर सका। परफॉरमेंस न कर पाने की वजह से संदीप इस कदर कुंठित हो गया कि उसने किचन में रखे चाकू से ही मरीना पर ताबड़तोड़ वार करने शुरू किए। जिस दौरान संदीप मरीना को चाकू मार रहा था मरीना उससे बचने के लिए कमरे और घर में कई जगह भागी। लेकिन हर जगह पहुँचकर संदीप ने उस पर ताबड़तोड़ वार किए। संदीप मरीना को तब तक चाकू मारता रहा जबतक उसका शरीर बेजान नहीं हो गया। इसी थ्योरी को आधार बनाकर अदालत ने बीती 16 फरवरी को संदीप पटेल को 19 साल की आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कत्ल के बारे में पुलिस की थ्योरी पर कोर्ट ने फैसला तो सुना दिया लेकिन अभी तक संदीप ये नहीं समझ पा रहा है कि आखिर इतने सालों के बाद पुलिस उस तक कैसे पहुँच गई। क्योंकि उसे समझ ही नहीं आ रहा है कि उसके जिस डीएनए के हवाले से पुलिस ने उसे दबोचा है, वो डीएनए और फिंगर प्रिंट्स पुलिस को कैसे मिले।
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