Gujrat Hooch: ज़हरीली शराब का जानलेवा सितम, पुलिस की केमिकल थ्योरी का ये है राज़

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Gujrat Hooch:: ना मचती चीख...ना उठती पुकार...ना गांवों में मातम होता...ना हर घर में पसरा गम होता... अगर जहरीली शराब (Hooch) का ऐसा जानलेवा सितम ना होता...
अगर पुलिस (Police) प्रशासन (Administration) ने सुन ली होती...गांव वालों की गुहार...सरपंच की पुकार... बंद करा दिया होता धड़ल्ले से चल रहे अवैध शराब का कारोबार...

पूरे चार महीने पहले नशे के इस गंदे धंधे की शिकायत दर्ज कराई गई थी लेकिन पुलिस है कि मानती ही नहीं...कान में तेल डाले सोती रही और तब तक सोती रही जब तक उसी धंधे की वजह से एक इलाक़े में चीख पुकार नहीं मच गई।
यहां तक कि इलाके के नेता ने भी अपनी हैसियत के मुताबिक पुलिस थाना कचहरी भी किया था लेकिन प्रशासन अंधा बहरा लूला लंगड़ा ही बना रहा...और अब अस्पताल के बाहर बैठकर लाशें गिन रहा है।

Gujrat Hooch: मार्च महीने में गांव के सरपंच ने एक शिकायत की थी...मगर वो रजिस्टर का एक पन्ना भर बनकर रह गई कोई कार्रवाई नहीं हुई...
कई शिकायत के बाद भी गुजरात पुलिस नींद से नहीं जागी शायद यही वजह है कि अब भावनगर और बोटाद जिले में जहरीली शराब कइयों की जान गटक चुकी है।
जिन अधिकारियों ने शराब को लेकर मिली शिकायत को अफवाह समझ कर हवा में उड़ा दिया था अब वहीं आला अधिकारी जहरीली शराब से कई लोगों की जान जाने के बाद अपराध की कड़ियां जोड़ रहे हैं और बेशर्मी तो देखिये 24 घंटे में गिरोह का पर्दाफाश करने का दावा करके अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।
ये भावनगर और बोटाद ज़िले के आला अधिकारियों की बेशर्मी का सबसे बड़ा नमूना ही है कि उन्होंने इस जहरीली शराब कांड में भी अपने बचने की खिड़की ढूंढ़ ली और केमिकल वाली थ्योरी हवा में फैला दी।

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पुलिस के मुताबिक जयेश नाम के अपराधी ने ये केमिकल गोडाउन से चोरी किया। चोरी करके अपने बुआ के लड़के को सप्लाई किया है। बुआ के लड़के ने आगे सप्लाई किया। और फिर पानी मिक्स करके इसको बेच दिया गया।
इस बीच दावा किया जा रहा है कि पुलिस के हाथ एक सीसीटीवी फुटेज भी लगा है... जिसमें आरोपी जयेश ऑटो पर केमिकल की बोतल रखता नजर आ रहा है...
खबर है कि लोगों ने 40-40 रुपये में केमिकल वाली अवैध शराब की छोटे पैकेट खरीदे और उन्हीं छोटे पैकेट ने बड़ी जानें ले लीं।

Gujrat Hooch: अभी तक जिस केमिकल की बात हो रही है पुलिस के मुताबिक वो क़रीब 600 लीटर बिका उसमें से 450 लीटर केमिकल रिकवर भी हो चुका है। जांच में उस केमिकल को मेथाइल अल्कोहल पाया गया।
अब शराबबंदी वाले सूबे में जहरीली शराब से मौत पर सियासी घमासान हो रहा है। विरोधी पुलिस प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। गुजरात में अवैध शराब के जाल के पीछे बीजेपी नेताओं की मिलीभगत बता रहे हैं।
विरोधी सवाल कर रहे हैं कि प्रशासन की लापरवाही की सजा आम लोगों को क्यों मिल रही है...गुजरात में जहरीली शराब से कहर से लोगों की जान जा रही है।
गुजरात में कानून तौर पर नशाबंदी है। शराब यहां पर बेची नहीं जा सकती। तो इतनी धड़ल्ले से शराब कैसे बिक रही है। गुजरात में शराब मिलना कोई बड़ी बात नहीं है। कहते हैं कि हजारों करोड़ रुपये का धंधा है। कैसे शराब बिक रही है।
गुजरात में 1960 से शराबबंदी लागू है।
साल 2017 में गुजरात सरकार ने शराबबंदी से जुड़े कानून को और सख्त कर दिया था और ये भी क़ानून ही है कि अगर कोई अवैध रूप से शराब बेचता हुआ पाया जाता है तो उसे न सिर्फ जेल होगी बल्कि उस पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा।

कानून बेशक सख्त हैं लेकिन हैं किसी काम के नहीं..क्योंकि अगर कानून का ही पालन हो रहा होता तो गुजरात के दो ज़िले इस वक़्त खून के आंसू न रो रहे होते।

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