Gopal Kanda History: गरीबी, पैसा, रुतबा, पावर, लड़कियां और जेल... गोपाल कांडा की पूरी कहानी

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Gopal Kanda History: कहते हैं अगर पैसा हो तो इंसान सब कुछ झेल सकता है, लेकिन हरेक मामले में ऐसा नहीं है। एक वक्त में गोपाल के पास पैसा आया, किस्मत चमकी, पावर आई, लड़कियां आईं, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया, जब उसे जेल का सफर भी तय करना पड़ा, लेकिन एक बात जो गोपाल के मन में हमेशा से भी, वो ये कि एक दिन वो जेल से बाहर होगा और उसके पीछे वजह थी बेशुमाह दौलत। साथ-साथ उसके कई रिश्तेदारों ने भी ऐसे वक्त में उसका साथ नहीं छोड़ा। गोपाल कांडा के जीवन में एक वक्त ऐसा भी आया, जब उन्हें ये लगा कि पैसा ही सब कुछ है। पैसा है तो रिश्तेदार है। और फिर पैसे वाले की गलत हरकतें भी सही लगने लगती है। 

शुरुआत रेडिया-टीवी रिपेयर मैकेनिक से हुई

Geetika Sharma Gopal Kanda: दिल्ली के चर्चित गीतिका शर्मा सुसाइड केस में फैसला आ गया है। गोपाल कांडा को बरी कर दिया गया है। वो राहत की सांस जरूर ले रहे होंगे, लेकिन गोपाल कांडा ने अपनी उम्र में गरीबी, पैसा, रुतबा, पावर, लड़कियां और जेल सब कुछ देख लिया। गोपाल कांडा इस वक्त हरियाणा के सिरसा से विधायक है। कभी वो खराब हो चुके रेडियो-टीवी रिपेयर किया करते थे, लेकिन भगवान ने गोपाल के लिए कुछ अलग ही सोच रखा था। गोपाल के सपने बहुत बड़े थे।


...जब जुत्ते-चप्पल की दुकान खोली थी गोपाल कांडा ने

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Who is Gopal Kanda?: गोपाल ने रेडियो रिपेयर की अपनी दुकान पर ताला लगा दिया और अपने भाई गोविंद कांडा के साथ मिल कर एक नया धंधा शुरू किया। गोपाल ने भाई गोविंद के साथ जूते और चप्पल की दुकान खोल ली। धीरे-धीरे गोपाल ने जूते बनाने की फैक्ट्री भी शुरू कर दी। गोपाल को विरासत में थोड़ा रुतबा और थोड़ा पैसा मिला था, क्योंकि उनके पिता जी वकील थे और बिजनेस भी ठीक-ठाक था। पिता जी ने बचत भी खूब कर रखी थी, लेकिन गोपाल के सपने बहुत ऊंचे थे। उसे लगा या तो मेहनत करके तरक्की हासिल कर ली जाए, वरना मेहनत के साथ-साथ अगर 'जी हजूरी' का गुण आ गया तो इसका फायदा मिल सकता है। लिहाजा उसने वैसे ही किया।

...जब नेताओं और अफसरों से की सेटिंग

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लिहाजा उसने नेताओं और अफसरों से रिश्ते बनाना शुरू किए। उन्हें खुश किया। उनकी लाइजनिंग शुरू की, ताकि वो उनसे फायदा उठा सके। इसी दौरान भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अफसर की सिरसा में पोस्टिंग हुई। वो कांडा का रिश्तेदार था। इस आईएएस अधिकारी का ट्रांसफर गुरुग्राम हो गया। उस वक्त गुरुग्राम की शक्ल-सूरत बदल रही थी। हुडा (HUDA)में इस अधिकारी की पोस्टिंग हो गई।

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...जब कांडा बने एयरलाइंस के मालिक!

Geetika Sharma Suicide case Latest Court Order: 2007 में गोपाल कांडा ने अपने पिता के नाम पर मुरलीधर लखराम के नाम एयरलाइंस शुरू कर दी - एमडीएलआर एयरलाइंस। हालांकि एयरलाइंस ज्यादा दिनों तक नहीं चली। इसके साथ-साथ कांडा ने एक के बाद कई बिजनेस खोले। इनमें से कई बिजनेस चले। कांडा ने खूब कमाई की और उससे दूसरा बिजनेस खोला। ये सिलसिला बढ़ता चला गया। प्रोफिट होता चला गया। कांडा ने इस दौरान कई  प्रॉपर्टी खरीदी-बेची और खूब मुनाफा कमाया। सेविंग की और ऐश की जिंदगी बताई।

...जब कांडा बने MLA

गोपाल कांडा होटल, कैसिनो, प्रॉपर्टी डीलिंग, स्कूल-कॉलेजों और  लोकल न्यूज चैनल का मालिक बना। गोपाल कांडा ने साल 2009 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीता भी। गोपाल कांडा तब भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ मिल गए और उनको हुड्डा सरकार में गृह राज्यमंत्री बनाया गया।

गोपाल की जिंदगी में गीतिका की एंट्री!

दरअसल, गीतिका शर्मा एयरलाइंस कंपनी में काम करने के लिए आई थी। गीतिका को साल 2006 में कांडा की कंपनी में ट्रेनी केबिन क्रू के रूप में नियुक्ति मिली और छह महीने बाद ही एयरहोस्टेस बना दिया गया। धीरे-धीरे कांडा और गीतिका के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी। वो उसकी हर संभव मदद करने लगे। ऐसा कहा जाता है कि कांडा ने गीतिका को कई गिफ्ट्स दिए, जिनमें महंगी कारें भी शामिल थी, लेकिन एक वक्त ऐसा आया, जब गीतिका और कांडा के बीच दूरियां शुरू हो गई। इगो बीच में आ गई। कहा जाता है कि गीतिका को कंपनी की तरफ से परेशान करना शुरू कर दिया गया। इसमें कांडा का साथ दिया कंपनी में काम करने वाली अरुणा चड्ढा ने।

खराब दिन शुरू, साल 2012

पूरे लाव-लश्कर के साथ चलने वाले गोपाल कांडा की जिंदगी में सबसे बड़ा झटका उस वक्त लगा, जब गीतिका शर्मा ने 2012 में दिल्ली के अशोक विहार इलाके में खुदकुशी कर ली। साल 2012 की ये घटना थी। खुदकुशी के पीछे क्या नौकरी जाने का डर था? या फिर कुछ ऐसे राज थे, जो दफन हो गए? इसके बारे में ज्यादा जानकारियां सामने नहीं आई। कुछ वक्त बाद गीतिका की मां ने भी खुदकुशी कर ली।

जेल पहुंचे कांडा

गीतिका केस में गोपाल कांडा का जेल का सफर तय करना पड़ा। वो 18 महीनों तक जेल में रहे, लेकिन गोपाल कांडा अब चाहता था कि वो किसी तरह से दोबारा पावर में आ जाए। बाद में उसकी बेल हुई। गोपाल कांडा ये भी सोच रहे थे कि आखिर क्यों गीतिका के चक्कर में पड़े? लेकिन ये बात भी सच है कि गोपाल को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि गीतिका ऐसा कदम उठा लेगी। कोर्ट में बड़े-बड़े वकीलों ने उनके लिए बहस की। ट्रायल चलता रहा। इस दौरान गोपाल कांडा की कई कंपनियां बंद हुई, लेकिन कहते हैं न कि गोपाल कांडा ने इतना कमाया था कि अब वो आराम से पूरी जिंदगी ऐश के साथ बीता सकता है।

पावर की भूख और किस्मत ने कांडा को फिर मौका दिया, लेकिन…

पावर की चमक बनी रहे, इसके लिए कांडा ने फिर खेल खेला। वो कुछ विधायकों को अपने साथ लेकर सरकार बनाने के लिए दिल्ली की तरफ चल पड़े। 2019 में जब बीजेपी बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गई, गोपाल कांडा ने समर्थन का ऐलान कर दिया, लेकिन उसके पुराने पापों की वजह से बीजेपी ने उससे किनारा कर लिया और दूसरी पार्टी के समर्थन से सरकार बना ली।

अदालत ने किया बरी

अब 2023 में कांडा को अदालत ने बरी कर दिया है। जाहिर है आने वाले वक्त में अब कांडा क्या सोच रहे होंगे, ये तो वो ही बता सकते हैं, लेकिन अभी भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने का मौका पुलिस के पास है। अब देखना होगा कि पुलिस का इस पर क्या रुख होता है? क्या सेटिंग का खेल होगा या फिर नहीं ? ये देखना दिलचस्प होगा। 

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