डॉन मुख्तार अंसारी के गुनाहों का होने लगा हिसाब, 18 महीने में 8 बार मिल चुकी सजा, 57 मुकदमें बाकी

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सांकेतिक तस्वीर
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UP Mafia Don Mukhtar Ansari: यूपी के इंटरस्टेट गैंग यानी IS-191 का नाम तो शायद सुना हो। इसी गैंग का सरगना है हिस्ट्रीशीटर मुख्तार अंसारी। जिसके जुर्म की हुकूमत पूरे सिर्फ उत्तर प्रदेश तक ही नहीं बल्कि पंजाब और दिल्ली तक चलती थी। मगर एक के बाद एक अदालत के फैसलों ने इस माफिया सरगना के साम्राज्य की नींव हिला दी है। 

65 से ज्यादा मुकदमें

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में खौफ का दूसरा नाम बन चुका मुख्तार अंसारी इस वक्त बांदा जेल में अपने किए जुर्मों की सजा काट रहा है और फिलहाल उसकी सजा का कोई अंत नहीं है। हत्या, लूट, डकैती, अपहरण, रंगदारी, गैंगस्टर, NSA जैसी संगीन धाराओं में करीब 65 से ज्यादा मुकदमें दर्ज हैं। 

आर्म्स एक्ट केस में उम्रकैद

बीते बुधवार को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के खिलाफ अदालत का एक और फैसला आया। जिसमें आर्म्स एक्ट से जुड़े एक मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। यानी अब रह रहकर उसके खिलाफ दर्ज सभी मामलों में एक एक करके सजा मिल रही है। देखा जाए तो बीते 18 महीनों के दौरान इस माफिया डॉन को 8वीं बार सजा सुनाई गई है। मुख्तार अंसारी को फर्जी आर्म्स लाइसेंस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। यानी इस माफिया सरगना के लिए अब उम्र भर सलाखों के पीछे काटने का कानूनी बंदोबस्त कर दिया गया है। सबसे हैरत करने वाला पहलू ये भी है कि  मुख्तार अंसारी ही नहीं, उसका पूरा परिवार अब कानूनी जाल में पूरी तरह से फंसा नजर आ रहा है। 

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जुर्म का हो रहा हिसाब 

गैंग्स्टर मुख्तार अंसारी के खिलाफ अभी तक करीब 65 केस दर्ज हो चुके हैं, जिनमें वो सभी धाराएं शामिल हैं, जिन्हें कानून की भाषा में बेहद संगीन माना जाता है। खासतौर पर हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, धोखाधड़ी, गुंडा एक्ट, आर्म्स एक्ट, गैंग्स्टर एक्ट के साथ साथ क्रिमिनल लॉ एक्ट और नेशनल सिक्योरिटी एक्ट तक लगी हुई है। और इन्हीं तमाम मुकदमों में अब अदालत के फैसले भी आने शुरू हो गए हैं जो एक के बाद एक मुख्तार अंसारी को सलाखों के भीतर और भीतर पहुँचाती जा रही है। 

हिल गई डॉन की सल्तनत

इसी कड़ी में बुधवार को भी मुख्तार के खिलाफ कोर्ट ने आर्म्स एक्ट के एक मुकदमें में फैसला सुनाकर इस माफिया डॉन की सल्तनत की चूलें हिला दीं। 

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आर्म्स एक्ट का मुकदमा 36 साल पुराना

असल मुख्तार के खिलाफ कोर्ट ने जिस मुकदमें में फैसला सुनाया है वो करीब 36 साल पुराना केस है। ये बात 10 जून 1986 की है। मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर जिला मजिस्ट्रेट के यहां एक दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। लेकिन मुख्तार ने अपने दबदबे और हनक की दम पर जिलाधिकारी और जिले के पुलिस अधीक्षक यानी एसपी के फर्जी दस्तखत से लाइसेंस हासिल भी कर लिया। लेकिन जल्दी ही मुख्तार अंसारी का फर्जीवाड़ा खुल गया और 4 दिसंबर 1990 को गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में उसके खिलाफ केस दर्ज करवा दिया गया। पुलिस की तफ्तीश में मुख्तार अंसारी के अलावा एक क्लर्क गौरीशंकर की मिली भगत साबित हुई और 1997 में पुलिस ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी। जबकि तब तक गौरीशंकर की मौत हो चुकी थी लिहाजा उसके खिलाफ केस खत्म कर दिया गया था। 

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वैसे अब तक 65 में से 8 मुकदमों में कोर्ट अपना फैसला सुना चुकी है। जानना जरूरी है कि वो कौन कौन से मुकदमें थे जिनमें मुख्तारके खिलाफ कोर्ट का फैसला आ चुका है- 

13 मार्च 2024: आईपीसी की धारा 428, 467, 468 और आर्म्स एक्ट के तहत दोष सिद्ध होने के बाद मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा इसके अलावा दो लाख रुपये का जुर्माना

15 दिसंबर 2023: कोयला कारोबारी नंदकिशोर रूंगटा और उनके भाई महावीर प्रसाद रूंगटा को धमकाने के मामले में 5 साल 6 महीने की कारावास की सजा सुनाई थी और 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। ये केस वाराणसी के भेलूपुर में 1 दिसंबर, 1997 को दर्ज हुआ था। 

5 जून 2023: कांग्रेसी नेता अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या के मामले में वाराणसी की MP-MLA कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई। अवधेश राय की वाराणसी के चेतगंज में 3 अगस्त, 1991 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

29 अप्रैल 2023: गैंगस्टर एक्ट में गाजीपुर की MP-MLA कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को 10 की सजा सुनाई और 5 लाख का जुर्माना भी लगाया। इसी केस में उनके मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को भी चार साल की सजा हुई। 

25 फरवरी 2023: दिल्ली में दर्ज आर्म्स एक्ट और TADA एक्ट में भी मुख्तार अंसारी को 10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी और करीब साढ़े पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था

15 दिसंबर 2022: गाजीपुर की MP-MLA कोर्ट ने गैंगस्टर मामले में 10 साल की सश्रम सजा सुनाई थी साथ ही अलावा 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। 

21 सितंबर 2022: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकारी कर्मचारी को काम करने से रोकने और धमकाने के मामले में सजा सुनाई। इस सजा के तहत मुख्तार को दो साल की जेल और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया  जबकि वहीं धारा 506 के तहत 7 साल की जेल और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। ये मामला लखनऊ के आलमबाग का है

23 सितंबर 2022: लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट मामले में मुख्तार को पांच साल की सजा हुई थी। इसके अलावा 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था

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