Delhi Crime: दिल्ली में हाई कोर्ट का नकली जज गिरफ्तार, कर रहा था 5 लाख की ब्लैकमेलिंग

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Delhi Crime News: नकली (Fake) हाईकोर्ट के जज (Judge) की ये कहानी बेहद दिलचस्प है। आरोपी ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में भेष धारण करने की कोशिश की और बाकायदा थाने का निरीक्षण करने पहुंच गया। हैरानी की बात ये है कि आरोपी ने रिट याचिकाओं पर नरमी बरतने के लिए पैसे ऐंठने की भी कोशिश की। 

दरअसल समय पुर बादली के एसीपी अनुराग द्विवेदी को 16 दिसंबर को एक व्हाट्सएप मैसेज मिला था। मैसेज भेजने वाले बताया कि वो एक जज है और एसीपी उसे फौरन कॉल करें। बात चूंकि जज की थी लिहाजा Acp ने तुरंत कॉल किया। काल पर मौजूद शख्स ने बताया कि वो हाईकोर्ट का जज है और रिट पेटिशन के सिलसिले में वो शाम 5 बजे समय पुर बादली थाने आएगा। 

ये खबर मिलते ही एसीपी ने एसएचओ समयपुर बादली को खबर दे दी। शाम पांच बजे के आस पास जब एसएचओ समय पुर बादली इंस्पेक्टर संजय कुमार अपने कार्यालय में थे तो लगभग 60-65 वर्ष की आयु का एक व्यक्ति एक टाटा नैनो कार में नंबर DL-10C0432 में खुद को दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायधीश बताते हुए उनके कार्यालय में आया और उसे बताया कि वे थाना समयपुर बादली क्षेत्र में चल रहे संगठित अपराध के संबंध में दायर एक रिट याचिका के व्यक्तिगत सत्यापन के सिलसिले में थाने आया है।

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इस बुजुर्ग ने आगे बताया कि 15 दिसंबर 2022 को उन्होंने बीट में तैनात एचसी पवन से मामले को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया उन्होंने समय पुर बादली के एसएचओ को रिट याचिका को रद्द करने के लिए 5,00,000 रुपये का भुगतान करने के लिए कहा, अन्यथा वे परेशानी में पड़ सकते हैं और अपनी नौकरी खो सकते हैं। समय पुर बादली के एसएचओ पर शक होने पर, क्योंकि दिल्ली हाई कोर्ट से समयपुर बादली को किसी जज के आने के संबंध में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली थी।

जिसके बाद पुलिस ने उन्होंने खुद को जज बताने वाले शख्स की तस्दीक की। बाद में उसका नाम और पता नरेंद्र कुमार निवासी 6 नंदा रोड, आदर्श नगर, दिल्ली बताया गया। उसके मोबाइल फोन की जांच करने पर कई व्हाट्सएप संदेश दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में दावा करते हुए और उनकी मांगों को पूरा करने या अन्यथा अपनी नौकरी खो देने की धमकी देते पाए गए।

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इसी बीच थाने में हेड कांस्टेबल पवन भी आया और पुष्टि की कि नरेंद्र अग्रवाल नाम के एक व्यक्ति ने उसके मोबाइल नंबर 8383931408 से उसके मोबाइल नंबर 989158943 पर कॉल कर पैसे की मांग की और धमकी दी कि अगर उसकी मांग पूरी नहीं की तो बर्खास्त कर दिया जाएगा। आरोपी नरेंद्र कुमार अग्रवाल अपना काम कराने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के जज के नाम से दिल्ली पुलिस के पुलिस अधिकारी को कॉल और मैसेज करता था।

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इसके बाद पुलिस ने एफ आई आर दर्ज कर नरेंद्र अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया और उसकी कार को भी जब्त कर लिया। इसके बाद पुलिस ने एफ आई आर दर्ज कर नरेंद्र अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया और उसकी कार को भी जब्त कर लिया। जांच में पता चला कि आरोपी नरेंद्र अग्रवाल सदर बाजारदिल्ली का रहने वाला है।

आरोपी ने 11वीं कक्षा तक पढ़ाई की और पिता के साथ तेल का कारोबार करने लगा। उनके खिलाफ वर्ष 1980 में आवश्यक वस्तु अधिनियम के दो मामले भी दर्ज हुए थे। आरोपे ने 1980 में शादी की और उनके दो बेटे हैं। उनकी पहली पत्नी का 1995 में निधन हो गया और उन्होंने 1996 में एक कंप्यूटर ऑपरेटर से दोबारा शादी की, जो उनके कार्यालय में काम करता था।

उनकी वर्तमान पत्नी से उनके तीन बेटे हैं। उन्होंने 2005 के बाद शेयर बाजार में भी कारोबार किया जिससे उन्हें व्यापार और बाजार में भारी नुकसान हुआ। साल 2011 में उनकी वर्तमान पत्नी ने उनके खिलाफ दहेज प्रताड़ना और क्रूरता का मामला दर्ज कराया जिसमें वे कई बार कोर्ट भी गए।

वहां उन्होंने न्यायाधीशों की शक्ति के बारे में जाना और न्यायाधीशों द्वारा दिए गए पुलिस के निर्देशों का अनुपालन देखा। उसके बाद पिछले कुछ वर्षों में उसने खुद को दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बताकर पुलिस अधिकारियों को फोन और मैसेज करना शुरू कर दिया और जज के नाम पर वसूली शुरु कर दी।

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