मुसीबत में महुआ, तृणमूल नेता महुआ मोइत्रा के ठिकानों पर CBI की ताबड़तोड़ छापेमारी, कैश फॉर क्वेरी केस में जांच तेज़

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Delhi CBI Crime Mahua: तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। गुरुवार को महुआ के खिलाफ सीबीआई ने केस दर्ज किया और शनिवार को महुआ के घर सहित कई ठिकानों पर CBI ने छापेमारी शुरु कर दी। टीएमसी नेता पर धन लेकर सवाल पूछने के मामले में कार्रवाई की गई है। सीबीआई इस मामले में टीएमसी नेता के कोलकाता स्थित आवास और अन्य स्थानों पर तलाशी ली है।

महुआ मोइत्रा के ठिकानों पर CBI की छापेमारी

भ्रष्टाचार रोधी संस्था लोकपाल के निर्देश पर कार्रवाई करते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने धन लेकर सवाल पूछने के मामले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ बृहस्पतिवार को प्राथमिकी दर्ज की थी। लोकपाल ने मोइत्रा के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे द्वारा लगाए गए आरोपों पर सीबीआई की प्रारंभिक जांच के निष्कर्ष मिलने के बाद एजेंसी को निर्देश जारी किए हैं। लोकपाल ने सीबीआई को इस मामले में मोइत्रा के खिलाफ शिकायतों के सभी पहलुओं की जांच करने के बाद छह महीने में अपने निष्कर्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

कैश फॉर क्वेरी मामले में बढ़ीं मुश्किलें

लोकसभा ने पिछले साल दिसंबर में ‘‘अनैतिक आचरण’’ के लिए मोइत्रा को निष्कासित कर दिया था। पूर्व सांसद ने अपने निष्कासन को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है और वह आम चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से टीएमसी उम्मीदवार के रूप में फिर से मैदान में होंगी। दुबे ने आरोप लगाया था कि मोइत्रा ने उद्योगपति गौतम अडाणी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत अन्य पर निशाना साधने के लिए कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से नकदी और उपहार के बदले में लोकसभा में सवाल पूछे। मोइत्रा ने सभी आरोपों से इनकार किया है। 

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बीते दिन दर्ज की थी FIR

लोकपाल की पीठ ने आदेश में कहा, ‘‘लोकपाल ने पाया कि प्रतिवादी लोक सेवक के खिलाफ लगाए गए आरोप बेहद गंभीर प्रकृति के हैं, जिनमें से अधिकतर के पक्ष में ठोस सबूत हैं।’’पीठ में न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी (न्यायिक सदस्य) और सदस्य अर्चना रामसुंदरम और महेंद्र सिंह शामिल हैं। आदेश में कहा गया, ‘‘इसलिए, हमारी सुविचारित राय में सच्चाई का पता लगाने के लिए गहरी जांच की आवश्यकता है।’’ आदेश में कहा गया कि लोक सेवक अपने कर्तव्यों के निर्वहन में ईमानदारी बरतने के लिए बाध्य है, चाहे वह किसी भी पद पर हो। 

निशिकांत दुबे ने लगाया था आरोप

लोकपाल के आदेश में कहा गया, ‘‘जन प्रतिनिधि के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी होती है। भ्रष्टाचार ऐसी बीमारी है जो इस लोकतांत्रिक देश के विधायी, प्रशासनिक, सामाजिक और आर्थिक कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।’’ पीठ ने आदेश में कहा, ‘‘हम सीबीआई को शिकायत में लगाए गए आरोपों के सभी पहलुओं की जांच करने और इस आदेश की तारीख से छह महीने के भीतर जांच रिपोर्ट की एक प्रति सौंपने का निर्देश देते हैं।’’ आदेश में कहा गया है कि सीबीआई जांच की स्थिति के संबंध में मासिक रिपोर्ट दाखिल करेगी।

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