पहले नेता जी की गाड़ी रुकवाई, फिर दिया शादी का कार्ड और फिर धांय धायं, फिल्मी स्टाइल में मर्डर

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बीजेपी नेता प्रमोद यादव की हत्या क्या सियासी रंजिश का नतीजा है?
बीजेपी नेता प्रमोद यादव की हत्या क्या सियासी रंजिश का नतीजा है?
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BJP Leader Murder: कहते हैं सियासत में कोई किसी का सगा नहीं होता। असल में जौनपुर में हुई बीजेपी नेता प्रमोद यादव की हत्या का किस्सा एक पुरानी संगीन और हत्या की वारदात से जाकर जुड़ता दिखाई देता है। हम बीजेपी के नेता प्रमोद यादव की हत्या का जिक्र करें उससे पहले उस सियासी किस्से को सुनना शायद ज्यादा जरूरी है। सारी बातें शीशे की तरह साफ हो जाएंगी। 

सियासी कत्ल का पुराना संयोग

ये बात 2017 की है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव चल रहे थे। रालोद यानी राष्ट्रीय लोकदल के एक उम्मीदवार थे। जब चुनाव अपने चरम पर था तभी एक रोज उसी उम्मीदवार के सगे भाई की हत्या हो जाती है। उसे हमलावरों ने नजदीक से गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। इस हमले में उसका एक दोस्त भी मारा जाता है। 

इसी रास्ते पर हुई थी बीजेपी नेता की हत्या

भाई ने करवाई थी भाई की हत्या

जाहिर है सरेआम हुई इस हत्या से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई और पुलिस ने इस मामले की गहराई से पड़ताल शुरू कर दी। हत्या के सुरागों को खंगालते खंगालते जब पुलिस उसके सिरे तक पहुँची तो बुरी तरह चौंक गई। क्योंकि ये हत्या एक सुपारी किलिंग थी। इससे पहले मतदान हो पाता, पुलिस ने इस मामले का खुलासा ही करके सारे इलाके को सन्न कर दिया, क्योंकि पुलिस ने खुलासे में बताया था कि रालोद के उम्मीदवार ने ही चुनाव जीतने की खातिर अपने ही सगे भाई की भाड़े के हत्यारों से हत्या करवा दी थी। पुलिस की तफ्तीश में ये भी साफ हुआ कि रालोद के उम्मीदवार को उनके सलाहकारों ने कुछ ऐसी सलाह दी थी कि अगर उन्हें चुनाव जीतना है तो कुछ ऐसा करना होगा ताकि लोगों की हमदर्दी हासिल हो सके। और उसी हमदर्दी को हासिल करके चुनाव जीतने की गरज से उस उम्मीदवार ने अपने ही भाई की सुपारी दे दी थी। 

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जौनपुर में फिर हुई सरेआम हत्या

इस बात के खुलासे ने हर किसी को हैरत में डाल दिया था और यही बात निकलकर कही जाने लगी कि राजनीति किसी की भी सगी नहीं होती। असल में इस घटना की याद सात साल बाद इसलिए आई क्योंकि जौनपुर में एक बार फिर सरेआम एक नेता की हत्या हुई है जिसको लेकर जौनपुर से लेकर पूरे पूर्वांचल में एक ही चर्चा हो रही है कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं है। 

प्रमोद यादव को करीब से मारी गई छह गोलियां, चार गोली सीने में लगीं

BJP नेता का सीना छलनी किया

दरअसल ये वारदात जौनपुर के सिकरारा थाना इलाके की है। यहां बोधापुर गांव में भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रमोद यादव किसी सामाजिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए अपने घर से निकले थे। अपने घर से क्रेटा गाड़ी पर सवार होकर वो निकल गए थे। घर से चंद कदम की दूरी पर वो सड़क के उस मोड़ पर पहुँच गए थे जो रास्ता जौनपुर से रायबरेली की तरफ जाता है। दो रास्तों के मिलने की जगह के पास ही एक स्पीड ब्रेकर था। उस ब्रेकर पर उनकी गाड़ी थोड़ी धीमी हुई। तभी वहां बाइक पर सवार दो लड़के पहुँचे...और नमस्ते करने के बाद शादी का कार्ड दिखाकर गाड़ी को पूरी तरह से रुकवाने का इशारा किया। असल में इशारा ये था कि वो नेता जी को शादी के समारोह में शामिल होने का न्योता देने उनके पास आए हैं और उन्हें शादी का कार्ड देना चाहते हैं। 

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शादी का कार्ड देने का बहाना

लड़कों के हाथ में शादी का कार्ड देखकर प्रमोद यादव ने गाड़ी भी रुकवा ली और शीशा उतारकर उन लड़कों से बात करने लगे। शादी का कार्ड भी उन्होंने लेकर बगल की सीट में रख दिया। सीट पर शादी का कार्ड रखकर प्रमोद यादव जैसे ही मुड़े तो उन्हीं तीन लड़कों ने उनके नजदीक से उनके सीने को निशाना बनाकर फायरिंग शुरू कर दी। 

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नेता पर ताबड़तोड़ फायरिंग

ये हमला इतना तेज और जल्दी किया गया कि खुद नेता प्रमोद यादव को संभलने का भी मौका नहीं मिला पहली गोली लगते ही प्रमोद यादव चीख पड़ते हैं मगर इससे पहले उनकी अगली चीख निकल पाती उन पर ताबड़तोड़ छह गोलियां दागी जा चुकी थी। उनके पास उनका लाइसेंसी हथियार उस वक्त उनके ही पास था। मगर उन्हें इतना भी मौका नहीं मिला कि वो अपना हथियार निकालकर बदमाशों का सामना कर पाते। 

गोली मारकर हत्यारे फरार

प्रमोद यादव को उन बाइक सवार बदमाशों ने छह गोलियां मारी, जिनमें से चार गोलियां तो सीने में लगी जबकि एक गोली उनके कूल्हे पर और एक गोली उनकी गर्दन पर लगी।  फायरिंग की इस ताबड़तोड़ वारदात के बाद इससे पहले आस पास के लोग कुछ समझ पाते बदमाश अपनी बाइक वहीं छोड़कर मौके से फरार हो गए। देखते ही देखते वहां अफरा तफरी मच गई। गांव के ही कुछ लोगों ने छह गोली लगने से घायल प्रमोद यादव को उठाकर अस्पताल तक पहुँचा पाती तब तक उनके प्राण पखेरू हो चुके थे। इस खबर को शहर में फैलते देर नहीं लगी कि बीजेपी नेता को उनके ही घर के नजदीक गोलियों से उड़ा दिया गया। 

खून से लथपथ शादी का वो कार्ड जिसे देकर मारी नेता जी को गोली

कौन हैं नेता के हत्यारे?

जौनपुर में दिन दहाड़े एक बीजेपी नेता और जिला मंत्री प्रमोद यादव की इस हत्या की खबर बहुत तेजी से सोशल मीडिया पर भी वायरल होने लगती है। हर तरफ यही सवाल तेजी से उड़ने लगा कि आखिर ये हत्या किसने की। प्रमोद यादव के हत्यारे कौन हैं? 

हत्या के बाद आवारा अफवाहें

इससे साथ साथ प्रमोद यादव के बारे में भी तमाम सूचनाएं तेजी से सोशल मीडिया पर तैरने लगी थी। खुलासा हुआ कि प्रमोद यादव भारतीय किसान यूनियन के नेता थे जो भारतीय जनता पार्टी का ही एक संगठन है। प्रमोद यादव ने साल 2007 में एक निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विधान सभा का चुनाव भी लड़ा था। साल 2012 में प्रमोद यादव को जौनपुर की मलहानि विधान सभा सीट से बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया था। उसी सीट पर जौनपुर के बाहूबली नेता धनंजय सिंह की पत्नी डॉक्टर जागृति भी चुनाव लड़ रही थीं। और इसी सीट पर समाजवादी पार्टी के पारसनाथ भी चुनाव लड़ रहे थे। जो बाद में विजयी रहे। 

बाहूबलि को जेल और अगले रोज हत्या

इसी बीच जब प्रमोद यादव की हत्या की खबर सामने आई तो लोगों ने फौरन इसे धनंजय सिंह को जेल भेजे जाने की घटना से जोड़ना शुरू कर दिया। क्योंकि एक रोज पहले ही यानी 6 मार्च को स्थानीय अदालत ने किडनैपिंग के एक मामले में बाहूबली नेता धनंजय सिंह को सात साल की सजा सुनाकर उन्हें जेल भेज दिया था। अब जौनपुर में आवारा अफवाहों का सिलसिला शुरू हो गया। कहा ये जाने लगा कि आने वाले विधान सभा चुनावों के लिए बाहूबली नेता धनंजय सिंह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन अचानक कोर्ट ने उन्हें नमामि गंगे परियोजना के मैनेजर को अगवा करने के इल्जाम में जेल भेज दिया गया। इसी बीच मनोज यादव की तरफ से एक बयान सामने आया था जिसमें धनंजय सिंह को लेकर नहीं बल्कि एक राजनीति का नारा उछला था कि लड़ेगा जौनपुर और जीतेगा जौनपुर। 

चुनावी रंजिश से जोड़ा गया

असल में 7 मार्च 2024 को हुई प्रमोद यादव की हत्या को लेकर हर कोई उसे 2012 के चुनावी रंजिश से जोड़कर देखने लगा। जिसमें कहा जा रहा था कि डॉक्टर जागृति की हार के पीछे प्रमोद यादव को ही कसूरवार माना जा रहा था।  जबकि सच्चाई ये थी कि उस साल के चुनाव में प्रमोद यादव का पर्चा ही कैंसल हो गया था। तो फिर वो डॉक्टर जागृति की हार के लिए कैसे जिम्मेदार हो सकते हैं। 

हत्या का अजीब इत्तेफाक

लेकिन इसी बीच ये बात निकलकर सामने आई कि प्रमोद यादव की हत्या एक अजीब इत्तेफाक से जाकर जुड़ गई। क्योंकि प्रमोद यादव के पिता राजबलि यादव अपने समय के जाने माने नेता थे और वो जनसंघ से जुड़े हुएथे। उन्होंने कई चुनाव भी लड़े थे और इत्तेफाक ये कि 1980 में राजबलि यादव की भी ऐसे ही गोली मारकर हत्या की जाती है। अब इस हत्या के बाद जौनपुर के एसपी का कहना है कि इस बात की जांच की जा रही है कि ये हत्या किसी निजी रंजिश का नतीजा है या फिर इसके पीछे किसी और का हाथ है। 

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