कर्नाटक में हुए हिजाब विवाद पर उर्फी जावेद ने अपनी राय रखी है

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उर्फी कहती हैं कि- हमारे देश में रिलीजन हमेशा से सेंसिटिव टॉपिक रहा है

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उर्फी कहती हैं, मुझे इस बारे में बात करने में कोई दिक्कत नहीं है. वूमेन जो चाहे वो पहन सकती है. कोई क्या पहनता है हम इस चीज पर किसी का एजुकेशन डिसाइड नहीं कर सकते है.

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उर्फी कहती हैं, मेरा बस यही एक प्वाइंट मैं समझती हूं कि स्कूल का एक कायदा है. हिजाब पहनने से वो औरतें कुछ गलत नहीं कर रही हैं.

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उर्फी कहती हैं, औरतों की लड़ाई सालों से इस चीज पर थी कि वह अपनी चॉइस कर सके उसे क्या पहनना है क्या नहीं.

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उर्फी आगे कहती हैं, पर्दा रखने को सब नीची निगाहों से क्यों देखते हैं. अगर किसी पर थोपी नहीं जा रही है, तो यह कतई गलत नहीं है.

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उर्फी आगे कहती हैं, लड़कियां अपनी मर्जी से पहनना चाह तो रही हैं, तो गलत नहीं है. मेकअप लाली, लिपस्टिक पोत के नहीं आ रही है, असल श्रृंगार तो उनके अंदर की आजादी से ही झलकती है.

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उर्फी आगे कहती हैं, मैंने बचपन से ही हिजाब कभी नहीं पहना. मेरी मम्मी इसे फॉलो नहीं करती थीं. मेरे रिलेटिव्स फॉलो करते हैं

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उर्फी आगे कहती हैं, अगर महिला किसी भी कपड़ों में खुद को इंपॉवर कर रही हैं ,तो उसमें कोई दिक्कत नहीं है.

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