पत्थरों से नवजात बच्ची का सिर कुचलने वाली मां को अदालत ने क्यों दी माफ़ी?

SUPRATIM BANERJEE

28 Jul 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:02 PM)

Why did the court grant pardon to the mother who crushed the head of a newborn girl with stones? special crime stories

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ये कहानी है एक ऐसी बदनसीब मां की, जिसने अपनी बेटी को जन्म देने के साथ ही उससे जीने का हक़ छीन लिया। और छीना भी ऐसे-वैसे नहीं, बल्कि फूल से भी नाज़ुक अपनी बेटी का सिर वो पत्थरों से तब तक कुचलती रही, जब तक उसे यकीन नहीं हो गया कि अब उसकी बेटी इस दुनिया में नहीं है।

लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जन्म के फ़ौरन बाद हुए इतने भयानक हमले के बाद भी वो बच्ची पूरे 12 घंटे तक उसी हाल में पड़ी-पड़ी तड़पती रही और आख़िरकार उसने दम तोड़ दिया। मगर, कहानी इतनी भर नहीं है।

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क्या इससे भी बड़ी चौंकानेवाली बात ये नहीं है कि अपनी ही बेटी को इतनी भयानक मौत देने वाली इस मां को आख़िरकार अदालत ने बिना कोई सज़ा दिए ही छोड़ दिया? जबकि आम तौर पर इतने भयानक जुर्म में या तो आजीवन कारावास या फिर मौत की सज़ा होती है।

ऐसे खुला नवजात के क़त्ल का राज़

ये मामला ब्रिटेन के हैंपशायर इलाक़े का है, जहां 24 साल की नेपाली मूल की एक लड़की बबीता राय ने अपनी बेटी को रात के अंधेरे में एक पार्क में पेड़ के नीचे चोरी-छुपे जन्म दिया और फिर उसकी जान ले ली। ये राज़ शायद कभी बाहर भी नहीं आता, अगर एक माली की नज़र चार दिन बाद उस बच्ची की लाश पर नहीं गई होती।

सच्चाई तो ये कि पहली नज़र में बच्ची की लाश को देख कर उस माली ने उसे किसी बच्ची की फेंकी गई गुड़िया समझा। लेकिन जब उसने ग़ौर से देखा, तो उसे असलियत समझ में आई और फिर आनन-फ़ानन में मामला पुलिस तक पहुंचा।

15 मई 2017 की रात को हुई इस वारदात के बाद हैंपशायर पुलिस ने मामले की तफ्तीश शुरू की। टेक्नीकल सर्विलांस के साथ-साथ मैनुअल पुलिसिंग की मदद से आख़िरकार पुलिस ने इस बच्ची की मां यानी बबीता राय को ढूंढ निकाला, जो पास ही के अल्डरशॉट इलाक़े में रहती थी। बबीता नेपाली मूल के कुछ और लोगों के साथ तब इंग्लैंड आई थी, जब वो क़रीब छह महीने की गर्भवती थी।

लेकिन नेपाल से इंग्लैंड आने के दौरान उसने एयरपोर्ट के तमाम इमिग्रेशन अफ़सरों से लेकर सुरक्षाकर्मियों तक से अपने प्रेग्नेंट होने की बात छुपाए रखी। और जब तीन महीने बाद उसने बच्ची को जन्म दिया, तो फिर जन्म देने के साथ ही उसकी जान भी ले ली।

आख़िर क्यों ली एक मां ने नवजात बेटी की जान?

अब सवाल ये है कि आखिर इस लड़की ने ऐसा किया क्यों? आखिर अपनी ही नवजात बच्ची से उसकी ऐसी क्या नाराज़गी थी? इन सवालों के जवाब सुनकर आपको ये भी समझ में आ जाएगा कि आख़िर ब्रिटेन की अदालत ने इस लड़की को जेल की सलाखों के पीछे भेजने की जगह आज़ाद क्यों छोड़ दिया।

असल में नेपाल की बबीता एक बिन ब्याही मां थी, जिसने शर्म यानी लोकलाज के मारे ना सिर्फ़ अपनी बच्ची को जन्म देने के तुरंत बाद की जान ले ली, बल्कि गर्भवती होने से क़त्ल करने तक उसने इस राज़ को पूरी दुनिया से छुपाए रखा।

पिछले साल यानी 2020 को अपनी गिरफ्तारी से पहले जूरी के सामने अपनी बात रखते हुए जब बबीता ने अपनी ज़िंदगी की ये दर्दनाक सच्चाई बयां की, तो फिर उसकी कहानी सुन कर जूरी भी भावुक हो उठी। उन्होंने बबीता को इनफेंटिसाइड यानी भ्रूण हत्या का दोषी तो माना, लेकिन उसे मर्डर यानी क़त्ल का गुनहगार मानने से इनकार कर दिया।

अदालत ने क्यों दी क़ातिल मां को माफ़ी?

अदालत ने कहा कि अपनी पहली बार गिरफ्तारी से लेकर अब तक वो करीब एक साल हिरासत में गुज़ार चुकी है। जबकि ये काम उसने ऐसे भयानक मानसिक अवसाद और तकलीफ़ में आकर किया है, जिसके बारे में सोचना भी मुश्किल है। लिहाज़ा, अब उसे और सज़ा नहीं दी जा सकती। अदालत ने उसे दो साल तक सामुदायिक कार्यों में भाग लेने और 30 दिनों तक रिहैबलिटेशन के गतिविधियों में शामिल होने के लिए ज़रूर पाबंद किया।

101 साल पुराना क़ानून बना 'रक्षा कवच'

असल में इंग्लैंड में भ्रूण हत्या को लेकर ये कानून 1920 में बना था, जिसमें ये कहा गया है कि कोई भी महिला अगर अपने बच्चे के जन्म के फ़ौरन बाद उसकी हत्या करती है, तो उसे क़त्ल का दोषी नहीं माना जाएगा और ना ही मौत की सज़ा दी जाएगी।

ये क़ानून उन महिलाओं पर लागू होता है, जिनकी मानसिक स्थिति बच्चे के जन्म को लेकर ही बिगड़ी हो या फिर जन्म की वजह से ही वो किसी अवसाद में चली गई हो। नेपाल की बबीता की कहानी कुछ ऐसी ही थी और इसी वजह से उसे इस 101 साल पुराने क़ानून की वजह से सज़ा नहीं मिली।

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