UP का ये MBBS डॉक्टर निकला इंसानी ख़ून का सौदागर, ब्लड में करता था सेलाइन वॉटर की मिलावट

SUNIL MAURYA

16 Sep 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:05 PM)

This MBBS doctor from UP smuggler of human blood, used to mix saline water in the blood UP STF arrested

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खाने में मिलावट. तेल में मिलावट. दूध में मिलावट. लेकिन अब इंसानी ख़ून में भी मिलावट. और मिलावट करने वाला कोई मामूली सौदागर नहीं बल्कि MBBS डॉक्टर ही हो तो क्या सोचेंगे. ऐसा डॉक्टर जिसकी खुद की सैलरी डेढ़ लाख रुपये से भी ज्यादा. बीवी भी बड़ी डॉक्टर.

आलीशान घर और लग्जरी गाड़ियां. फिर भी लोगों की जान दांव पर लगाकर महीने में लाखों रुपये कमाने का लालच. इसी लालच में ब्लड डोनेशन कैंप लगावकर कभी फ्री में ब्लड तो कभी गरीबों और नशेड़ियों से ब्लड लेकर करते थे उसमें सेलाइन वॉटर (Saline Water) की मिलावट. इस तरह ये 2 यूनिट ब्लड को 3 या कभी-कभी जरूरत पड़ने पर 4 यूनिट ब्लड बना देते थे. इसे ये प्रति यूनिट ब्लड 4 से 6 हजार रुपये में बेच देते थे.

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मिलावटी ख़ून की तस्करी का मास्टरमाइंड MBBS डॉक्टर अभय सिंह है. उसने उत्तर प्रदेश के सैफई मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर होने का भी दावा किया है. डॉ. अभय सिंह के.जी.एम.यू. (KGMU Lucknow) से साल 2000 के बैच का एमबीबीएस डॉक्टर है. इससे पहले, साल 2007 में उसने पीजीआई लखनऊ से एम.डी. ट्रान्सफ्यूजन मेडिसिन का कोर्स भी किया था. इसके एक और साथी को यूपी एसटीएफ UP STF ने गिरफ्तार किया है.

ये तो हद है : ब्लड डोनेशन कैंप लगावकर कभी फ्री में ब्लड तो कभी गरीबों और नशेड़ियों से ब्लड लेकर करते थे उसमें सेलाइन वॉटर (Saline Water) की मिलावट. इस तरह ये 2 यूनिट ब्लड को 3 या कभी-कभी जरूरत पड़ने पर 4 यूनिट ब्लड बना देते थे. इसे ये प्रति यूनिट ब्लड 4 से 6 हजार रुपये में बेच देते थे

100 यूनिट से ज्यादा ब्लड यूनिट बरामद

यूपी पुलिस ने इंसानी ख़ून के तस्करों का खुलासा 16 सितंबर को किया. यूपी एसटीएफ यानी स्पेशल टास्क फोर्स ने इस पूरे सिंडिकेट का खुलासा किया. एसटीएफ प्रमुख आईजी अमिताभ यश ने मीडिया को बताया कि डॉ. अभय प्रताप सिंह के अलावा दूसरे ब्लड तस्कर अभिषेक पाठक को भी गिरफ्तार किया गया है.

इनके पास से 100 यूनिट ब्लड पैकेट बरामद किए गए हैं. इनके पास से 21 से ज्यादा ब्लड बैंकों के कागजात मिले हैं. यानी इनके मिलावटी ख़ून को कम से कम 21 ब्लड बैंक में तो सप्लाई की जाती होगी. इसके अलावा भी कुछ और ब्लड बैंक हो सकते हैं.

हर महीने 15 लाख से ज्यादा की कमाई, ऐसे लाते थे ब्लड

यूपी एसटीएफ की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि यूपी बिहार में लोग ब्लड डोनेट करने में संकोच करते हैं. लेकिन पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में काफी संख्या में लोग ब्लड डोनेशन में हिस्सा लेते हैं.

इसलिए इन स्थानों पर कैंप लगाकर और कुछ प्रचार-प्रसार के जरिए ब्लड एकत्र करते थे. इसके बाद भी ब्लड कम पड़ जाए तो गरीब और नशे के आदी लोगों को भी 500 से 1500 रुपये तक देकर उनसे ये एक से डेढ़ यूनिट तक ब्लड ले लेते थे.

इसके बाद उसी ब्लड में सेलाइन वॉटर मिलाकर उसे कई यूनिट और ब्लड तैयार कर लेते थे. इसके बाद उसी ब्लड को लखनऊ और उसके आसपास के कई अस्पतालों और ब्लड बैंक में बेच देते थे.

इनसे पूछताछ में कई दो दर्जन से ज्यादा ब्लड बैंक और अस्पतालों की डिटेल मिली हैं जिन्हें ये ब्लड की सप्लाई करते थे. ये एक यूनिट ब्लड के लिए इमरजेंसी में फंसे व्यक्ति से 4 हजार से 6 हजार रुपये तक ले लेते थे. अंदाजा ये लगाया गया है कि ये गैंग हर महीने 15 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई कर लेता था.

घर के फ्रीज में छुपाकर रखे थे 55 यूनिट ब्ल़ड

STF के डीएसपी अमित नागर ने बताया कि आरोपियों की जब गिरफ्तारी हुई तो उनके कब्जे से पहले 45 यूनिट ब्लड बरामद हुआ. इसके बाद एक मकान में छापेमारी कर दलाल अभिषेक पाठक के कब्जे से भी 55 यूनिट इंसानी ब्लड मिला. इस तरह कुल 100 यूनिट ब्लड मिले. ये ब्लड उसके घर में फ्रीज में मिला. जबकि नियमानुसार ब्लडबैंक के अलावा किसी अन्य जगह पर ब्लड को नहीं रखा जा सकता है.

एक्सपायर ब्लड भी मरीजों को बेच देते थे

डीएसपी अमित नागर ने बताया कि ये गैंग पैसों के लालच में इस कदर डूबा हुआ था कि कई बार एक्सपायर ब्लड को भी बेच देते थे. नियमों के मुताबिक, किसी ब्लड को शरीर से निकाले जाने के बाद 20 दिन के भीतर ही चढ़ा देना चाहिए.

लेकिन ये गैंग एक्सपायर होने के बाद भी ब्लड को मरीजों को चढ़ा देते थे. क्योंकि गैंग का सरगना खुद डॉक्टर रहा और वो सीधे मरीजों और उनके परिवार से डील कर लेता था. इसके अलावा ये पुराने मिलावटी ब्लड को कम दाम में भी दे देते थे.

मरीजों को नहीं मिलता था आराम

बताया जा रहा है कि इस तरह की मिलावटी खून से मरीजों को आराम नहीं मिलता था तब ये और कई यूनिट ब्लड देकर ज्यादा पैसे कमाई करते थे. एक्सपर्ट डॉक्टर का कहना है कि मिलावटी खून से मरीजों को तो कोई आराम नहीं मिलता था और इसके विपरीत कई तरह के इंफेक्शन हो जाते थे. ऐसे में ये आशंका है कि इनके मिलावटी खून देने की वजह से ना जाने कितनों मरीजों की जान चली गई होगी, इसका कोई आकलन नहीं है.

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