Indore News : जरा सोचिए कोई भिखारी औसतन रोजाना या महीने में कितना कमा लेता होगा। शायद हमें या आपको इसका अंदाजा करना मुश्किल है। अब ये आंकड़ा देख लीजिए। 40 साल की एक महिला ने सिर्फ 45 दिन भीख मांगकर 2.5 लाख रुपये कमा लिए। यानी महज एक महीने यानी 30 दिनों में 1.66 लाख रुपये। इस तरह कह सकते हैं उस महिला भिखारी की महीने की सैलरी 1.66 लाख रुपये। अब हो गए ना आश्चर्यचकित। अब इस महिला भिखारी ने इन रुपयों को कैसे खर्च किया। ये भी जान लीजिए। असल में इसने ढाई लाख रुपये में से 1 लाख रुपये अपने सास-ससुर को दे दिए। 50 हजार रुपये बैंक खाते में जमा कराए और 50 हजार रुपये फिक्स डिपाजिट भी किए। यानी भीख से कमाए पैसों का सही तरीके से इस्तेमाल किया। ये सारा सच एक एनजीओ की पड़ताल में सामने आया है। आइए जानते हैं पूरी रिपोर्ट।
लखपती भिखारिन : 45 दिन की कमाई 2.5 लाख, 50 हजार की FD, अपना घर, गाड़ी सबकुछ
Indore Women Beggar : 40 वर्षीय महिला ने महज 45 दिन में भीख मांगकर ढाई लाख रुपये कमाए. आठ वर्षीय बेटी समेत तीन नाबालिग संतानों को भी भिक्षावृत्ति में धकेल चुकी है.
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Indore Women Beggar : 40 वर्षीय महिला ने महज 45 दिन में भीख मांगकर ढाई लाख रुपये कमाए.
13 Feb 2024 (अपडेटेड: Feb 16 2024 2:10 PM)
PTI की रिपोर्ट के अनुसार, इंदौर में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) का दावा है कि 40 वर्षीय महिला ने महज 45 दिन में भीख मांगकर ढाई लाख रुपये कमाए हैं और वह अपनी आठ वर्षीय बेटी समेत तीन नाबालिग संतानों को भी भिक्षावृत्ति में धकेल चुकी है। प्रशासन के साथ मिलकर इंदौर को भिक्षुकमुक्त शहर बनाने की दिशा में काम करने वाले संगठन ‘‘प्रवेश’’ की अध्यक्ष रूपाली जैन ने मंगलवार को ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया, 'हमने इंदौर-उज्जैन रोड के लव-कुश चौराहे पर इंद्रा बाई (40) को हाल में भीख मांगते पकड़ा। हमें उसके पास से 19,200 रुपये की नकदी मिली।’’
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भीख मांगने के बाद पति के साथ बाइक पर बैठ करती है सैर सपाटा
जैन के मुताबिक, इंद्रा ने उन्हें बताया कि उसने पिछले 45 दिन में भीख मांगकर ढाई लाख रुपये कमाए जिनमें से एक लाख रुपये उसने अपने सास-ससुर को भेज दिए, 50,000 रुपये बैंक खाते में जमा किए और 50,000 रुपये सावधि जमा योजना (एफडी) में निवेश किए। उन्होंने दावा किया कि इंदौर में पेशेवर तौर पर भीख मांगने वाले 150 लोगों के समूह में शामिल महिला के परिवार की राजस्थान में जमीन और दो मंजिला मकान भी है। जैन ने कहा,‘‘इंद्रा के नाम से उसके पति ने मोटरसाइकिल खरीदी है। भीख मांगने के बाद वह और उसका पति इसी मोटरसाइकिल पर बैठकर शहर में घूमते हैं।’’ गैर सरकारी संगठन की प्रमुख के मुताबिक, महिला का कहना है कि उज्जैन में महाकाल लोक गलियारा बनने के बाद भिक्षावृत्ति से उसके परिवार की कमाई बढ़ गई है क्योंकि इस धार्मिक नगरी की ओर जाने वाले ज्यादातर श्रद्धालुओं की गाड़ियां इंदौर के लव-कुश चौराहे के यातायात सिग्नल पर रुकती हैं।
अब ऐसे हो रही कानूनी कार्रवाई
NGO ‘‘प्रवेश’’ की अध्यक्ष रूपाली जैन ने कहा कि इंद्रा बाई के पांच बच्चों में से दो बच्चे राजस्थान में हैं और वह तीन बच्चों के साथ इंदौर में भीख मांग रही थी। उन्होंने बताया कि अपने परिवार द्वारा भिक्षावृत्ति में धकेले गए इन बच्चों में शामिल आठ साल की लड़की को बाल कल्याण समिति की निगरानी में रखा गया है। जैन ने कहा कि महिला के दो लड़के भिक्षावृत्ति उन्मूलन दल को देखकर भाग गए जिनकी उम्र नौ वर्ष और 10 वर्ष है। बाणगंगा थाने के उप निरीक्षक ईश्वरचंद्र राठौड़ ने बताया कि भीख मांगने के दौरान पकड़े जाने के बाद इंद्रा ने कथित तौर पर उग्र बर्ताव किया और गैर सरकारी संगठन की एक महिला कार्यकर्ता से विवाद किया।
उन्होंने बताया कि 40 वर्षीय महिला को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 151 (संज्ञेय अपराध घटित होने से रोकने के लिये की जाने वाली एहतियातन गिरफ्तारी) के तहत एहतियातन गिरफ्तार किया। उप निरीक्षक ने बताया कि महिला को एक सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) की अदालत में पेश किया गया जहां से उसे न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेज दिया गया। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देश के 10 शहरों को भिक्षुकमुक्त बनाए जाने की प्रायोगिक (पायलट) परियोजना शुरू की है जिनमें इंदौर शामिल है। इंदौर के जिलाधिकारी आशीष सिंह ने बताया,‘‘हमने शहर में भिक्षावृत्ति में धकेले गए सभी बच्चों को बचाने का लक्ष्य तय किया है। अब तक ऐसे 10 बच्चों को बचाकर शासकीय बाल गृह भेजा गया है।’’ उन्होंने बताया कि बच्चों से भीख मंगवाने वाले गिरोहों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है।
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