अबू सलेम की हैबियस कॉर्पस
HABEAS CORPUS: अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने की सुनवाई
अबू सलेम की याचिका पर सुनवाई, हैबियस कॉर्पस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई की, नज़रबंदी के तहत हुई बहस, Read more crime news in Hindi, Delhi crime news and Viral video on CrimeTak.in
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02 Feb 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:13 PM)
LATEST CRIME NEWS: गैंगस्टर और अंडरवर्ल्ड सरगना अबू सलेम की नज़रबंदी सही है या क़ानूनी तौर पर अवैध, ये बात इन दिनों क़ानून के कॉरिडोर में ज़ेरे बहस है। 1993 में मुंबई के सीरियल ब्लास्ट मामले में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे अबू सलेम ने दिल्ली हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका यानी हैबियस कॉर्पस दाखिल की है।
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और हाईकोर्ट ने अबू सलेम को अपनी याचिका के हक़ में दस्तावेज़ दाखिल करने के लिए समय दे दिया है। क्योंकि उस याचिका में दावा किया गया है कि अबू सलेम की नज़रबंदी अवैध है।
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की दो जजों की बेंच ने कहा है कि अबू सलेम के वकील को उस फैसले की इलेक्ट्रॉनिक कॉपी रिकॉर्ड में पेश करनी चाहिए, जिस पर वो विश्वास करके ये याचिका दाखिल कर रहे हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट करेगा सुनवाई
NEWS FROM UNDERWORLD: हाईकोर्ट का मानना है कि उस रिकॉर्ड में ये दिखाया जा सके कि उनकी हैबियस कॉर्पस पर विचार करना ज़रूरी है। इस मामले में अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी। दो जजों की बेंच ने अबू सलेम के वकील को इस बात की भी इजाज़त दे दी कि वो इस बारे में संक्षिप्त लिखित दस्तावेज भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं।
क्या होता है हैबियस कॉर्पस यानी बंदी प्रत्यक्षीकरण- असल में किसी के लापता होने या फिर अवैध रुप से हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अदालत में पेश करने का निर्देश देने के लिए ये बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका यानी हैबियस कॉर्पस हाईकोर्ट में दाखिल की जाती है जिसकी सुनवाई आमतौर पर दो जजों की बेंच ही करती है।
अबू सलेम को पुर्तगाल वापस भेजने की मांग
इन दिनों अबू सलेम की हैबियस कॉर्पस पर सुनवाई की जा रही है। याचिका में कहा गया है कि पुर्तगाल से जब अबू सलेम को प्रत्यर्पण के दौरान भारत सरकार की तरफ से किए गए वायदों और आश्वसनों का सरासर उल्लंघन किया गया है।
ऐसे में सलेम की हिरासत को अवैध घोषित करके उसे फौरन रद्द किया जाए और अबू सलेम को वापस पुर्तगाल भेज दिया जाए। याचिका में कहा गया है कि अबू सलेम को अतिरिक्त आरोपों के लिए दोषी ठहराया गया है। जबकि प्रत्यर्पण संधि में उन आरोपों का कोई ज़िक्र नहीं किया गया था।
याचिका में कहा गया है कि अबू सलेम को 2002 में पुर्तगाल से भारत प्रत्यर्पित किया गया था। और तभी से वो जेल में बंद है। पिछले साल यानी 27 अक्टूबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के एक मामले में अबू सलेम को ज़मानत देने की याचिका ख़ारिज कर दी थी।
जबकि 25 फरवरी 2015 को मुंबई में विशेष टाडा अदालत ने 1995 में मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन और उसके ड्राइवर मेहंदी हसन की हत्या के मामले में अबू सलेम को अजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी।
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