26 नवंबर 2008 को मुंबई पर आतंकवादी हमला हुआ. मुंबई की देविका रोटावन की जिंदगी इस तारीख ने दो हिस्सों में बांट दी. एक में वो 9 साल की बच्ची जिसे कसाब ने गोली मार दी और दूसरी आज की देविका रोटावन जिसके जज्बे आतंकवादियों की गोली के सामने भी चट्टान से अटल हैं
जिसको मार न सकी आतंकियों की गोली: कसाब की पहचान करने वाली देविका रोटावन की कहानी
29 Nov 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:10 PM)
मुंबई 26/11 आतंकी हमलों की सबसे छोटी सर्वाइवर देविका रोटावन (Devika Rotawan) की कहानी जानें, कैसे कसाब की गोली भी नहीं तोड़ पायी उसके हौसले को, Get more latest crime news in Hindi on Crime Tak.
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देविका रोटावन अब बीस साल की हो चुकी हैं. कसाब की गोलियां सिर्फ 9 साल की देविका के पैरों को जख्मी कर पाईं थी इरादों को नहीं. अंधाधुंध फायरिंग करते आतंकवादी कसाब का चेहरा देविका की आंखों में कैद हो गया. जिसके बाद देविका और उनके पिता ने अदालत में जज साहेब के सामने खड़े होकर कसाब की पहचान की थी.
26 नवंबर 2008 को छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन में दहशतगर्दों ने यात्रियों पर गोलियां बरसाईं. उस दिन देविका नटवरलाल रोटावन अपने परिवार के साथ पूणे जाने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रही थी और तभी वो हमला हुआ.
इस घटना ने देविका के जीवन में जबर्दस्त प्रभाव डाला. इस वजह से वह टीबी से ग्रसित हो गई थी. लेकिन मजबूत इरादों वाली देविका कहती हैं कि वो आइपीएस बनकर आतंक को सफाया करेंगी और देश का नाम भी रोशन करेंगी.
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