Delhi Kanjhawala Death Case: अब गुजरात की फोरेंसिक टीम इकट्ठा करेगी सबूत!

Delhi Kanjhawala Death Case: कंझावला केस की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस ने बड़ा फैसला किया है। दिल्ली पुलिस ने गुजरात की फोरेंसिक टीम को जांच में शामिल कर लिया है।

CrimeTak

12 Jan 2023 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:33 PM)

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Delhi Kanjhawala Death Case: कंझावला केस की जांच को लेकर दिल्ली पुलिस ने बड़ा फैसला किया है। दिल्ली पुलिस ने गुजरात की फोरेंसिक टीम को जांच में शामिल कर लिया है। गुरुवार को दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में गुजरात की राष्ट्रीय फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (National Forensic Science University, Gandhinagar, Gujarat) के पांच फोरेंसिक एक्पर्ट जांच कर रहे हैं।

इस दौरान वो तमाम बिंदुओं की जांच करेंगे।

1. कार की जांच

2. मौके का मुआवना

3. ब्लड रिपोर्ट्स की जांच

4. डीएनए रिपोर्ट्स की जांच

5. आरोपियों और मृतका के कपड़ों की जांच

क्यों शामिल किया गुजरात की फोरेंसिक टीम को?

इस संबंध में आउटर दिल्ली के डीसीपी हरेंद्र सिंह ने फोरेंसिक टीम से अनुरोध किया था। इसी के बाद राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गांधीनगर, गुजरात के पांच फोरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम ने सुल्तानपुरी का दौरा किया है। ये टीम और फोरेंसिक सबूत इकट्ठा करने के लिए यहां पहुंची है ताकि इस मामले में न्याय हो सके।

इससे पहले इस केस की जांच लगातार आगे बढ़ रही है। कुल 7 आरोपियों को इसमें गिरफ्तार किया गया है। पुलिस चाहती है कि अब इस मामले में कोई गलती न रह जाए और सारे सबूत इकट्ठे किये जा सके, इसीलिए फोरेंसिक टीम को बुलाया गया है। ये बात और है कि हर केस में इस तरह से टीम को नहीं बुलाया जाता है।

पुलिस के मुताबिक, जिस समय कार अंजलि को दिल्ली की सड़कों पर घसीट रही थी, तब उसमें 5 नहीं चार आरोपी थे। पुलिस ने जिस 5वें आरोपी दीपक खन्ना को गिरफ्तार किया है, वह उस वक्त बलेनो कार में नहीं बल्कि कही और था। बताया जा रहा है कि ये कार अमित चला रहा था, जब कि दीपक ने पुलिस को झूठ बोलकर खुद को कार का ड्राइवर बताया था।

अमित और अंकुश भाई हैं, जबकि दीपक चचेरा भाई है। सूत्रों के मुताबिक, एक्सीडेंट के वक्त दीपक कार में ही नहीं था। वह किसी दूसरी जगह पर था। कार अमित चला रहा था।

ऐसे चेंज हुआ ड्राइवर?

अमित ने एक्सीडेंट के बाद अपने भाई अंकुश को सारी बात बताई। अमित के पास लाइसेंस नहीं था। ऐसे में दोनों ने दीपक को राजी किया कि वह पुलिस से कहे कि वही कार चला रहा था। दीपक ग्रामीण सेवा में ड्राइवर था।

दीपक को एक आरोपी ने फोन कर बुलाया था। दीपक अपने चाचा का ऑटो रिक्शा लेकर पहुंचा था। यहां से वह आरोपियों को अपने घर ले गया। इसी बीच पुलिस को एक सीसीटीवी हाथ लगा है, इसमें दिख रहा है कि अमित ने एक्सीडेंट के बाद कार आशुतोष को दी और वह भी ऑटो रिक्शा से चला गया।

जांच में ये बात सामने आई है कि कार आशुतोष की थी।आशुतोष से अमित ने कार मांगी थी जिसके बाद अमित गाड़ी चला रहा था।अमित के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। ये बात आशुतोष जानता था। हादसे के वक्त अमित कार चला रहा था। हादसा होने के बाद अमित ने आशुतोष और अपने भाई अंकुश को जानकारी दी थी कि हादसा हो गया है। आशुतोष और अमित के भाई अंकुश ने प्लानिंग की और दीपक खन्ना को ड्राइवर के तौर पेश किया क्योंकि दीपक खन्ना के पास ड्राइविंग लाइसेंस था। इस तरह पुलिस को गुमराह किया गया और हादसे का सच छुपाया गया।

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