182 साल की सजा, लेकिन पैरोल बढ़ाने को लेकर कोर्ट ने कहा - NO

Delhi High Court 182 Years imprisonment Case: करप्शन के केस में डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम कोर्ट ने आरोपी को 182 साल की सजा सुनाई थी।

Delhi High Court

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15 Feb 2024 (अपडेटेड: Feb 16 2024 2:35 PM)

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संजय शर्मा के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट

Delhi High Court 182 Years imprisonment:  182 साल की सजा। चौंक गए न, लेकिन ये सच है। सवाल ये है कि क्या कोई आदमी इतने साल तक जिंदा रह सकता है? तो फिर इतनी सजा क्यों दी गई? किस केस में इतनी सजा मिली? आईये आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं। ये फैसला सुनाया है दिल्ली हाईकोर्ट ने। मामला करप्शन से जुड़ा हुआ है। आरोपी सात साल जेल में बिता चुका है। सजा मिली है एक बिल्डर को। बिल्डर को हाल ही में पैरोल दी गई थी। वो पैरोल बढ़ाने की मांग को लेकर कोर्ट पहुंच गया। फिर क्या था, कोर्ट ने पैरोल बढ़ाने से इनकार कर दिया, लेकिन सवाल उठता है कि उसे किस केस मे इतनी ज्यादा सजा मिली?

क्या आरोप है बिल्डर पर?

दरअसल, बिल्डर पर आरोप है कि उसने प्लॉट के खरीद दारों द्वारा जमा किए गए 90 लाख रुपए गबन कर लिए। इस सिलसिले में पीड़ित कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने तमाम सबूतों और गवाहों के मद्देनजर आरोपी राकेश कुमार को दोषी करार दिया। इसके बाद वो सात सालों तक जेल में रहा। तीस हजारी कोर्ट की डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम कोर्ट ने कुल 182 साल की सजा सुनाई थी। मामले अभी ऊपरी अदालत में विचाराधीन है, लिहाजा आरोपी राकेश ने कोर्ट ने पैरोल मांगी। कोर्ट ने उसे पैरोल पर रिहा किया, लेकिन अब वो 6 महीनों की पैरोल मांग रहा है, जिसे अदालत ने इनकार किया है।

क्या कहा दिल्ली हाई कोर्ट ने?

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा की दी गई सजा में कमी और पैरोल केवल इस आधार पर बढ़ाई नहीं जा सकती, क्योंकि याचिकाकर्ता प्लॉट खरीद दारों से सेटेलमेंट के लिए पैसे का इंतजाम कर रहा है। हाईकोर्ट ने कहा, 'दोषी ने जो काम किया है, वह पैरोल बढ़ाने की मांग का हकदार नहीं है। पैरोल मांगना किसी दोषी का अधिकार नहीं है, ये प्रिविलेज है। विशेष परिस्थितियों में ही पैरोल दिया जा सकता है, कोर्ट उस पर विचार कर सकता है। पैरोल दिल्ली प्रिजन रूल 2018 के तहत गवर्न होता है।'

2019 में मिली थी पैरौल, फिर मिलती रही, लेकिन अब नहीं

साल 2019 में कोर्ट ने दोषी को पैरोल दिया था। इसके बाद पैरौल को समय-समय पर बढ़ाया भी जाता रहा। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा की उनको आशा है की गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा अधिगृहीत की गई जमीन का मुआवजा मिलने वाला है और वह मिले मुआवजे से प्लॉट खरीददारों से सेटलमेंट कर लेगा।

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