मरे हुए पति के साथ सोती रही बसंती, करवाचौथ से पहले हर हाल में उसे बनना था विधवा

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26 Oct 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:08 PM)

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वो बात अलग है कि करवाचौथ के अगले दिन यानि 25 अक्टूबर को पति के कत्ल की वारदात से पर्दा हट गया। मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर का है। यहां पर चीनोर थाना इलाके की पुरानी नहर में 6 सितंबर को एक लाश तैरती हुई मिली थी पुलिस ने लाश को कब्जे में ले लिया।

मरने वाले ने काले रंग की पेंट और लाल बेल्ट पहन रखी थी जबकि जिस्म के ऊपरी हिस्से पर कोई कपड़ा नहीं था। पुलिस ने लाश को पोस्मटमार्टम के लिए भेज दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला कि मरने वाले की मौत नहर में डूबकर नहीं हुई है बलकि नहर में डूबने से पहले गला घोंटकर उसे मौत के घाट उतार दिया गया। बाद में लाश निपटाने की नियत से नहर में फेंक दी।

हालांकि पुलिस लाश की पहचान नहीं कर पा रही थी। पुलिस ने अपनी तरफ से काफी मशक्कत की, आसपास के थानों से ऐसे लोगों की लिस्ट मंगाई जो हाल में ही गायब हुए हों और उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई हो। मृतक की पहचान कायम करने की पुलिस की कवायद 20 दिन बाद आखिर रंग ले आई।

पुलिस ने लाश की पहचान देवरी कला गांव के रहने वाले परीक्षित सिंह रावत के तौर पर हुई। जांच में पता चला कि परीक्षित की पत्नी बसंती ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट बेलगढ़ा थाने में दर्ज कराई थी।

पत्नी से पूछताछ की तो उसने बताया कि परिक्षित शराबी किस्म का आदमी था, वो मजदूरी किया करता था और कमाई रकम को शराब में उड़ा दिया करता था।

जांच में पुलिस को पता लगा कि परीक्षित अक्सर अपनी पत्नी के साथ मारपीट करता था जिसकी वजह से पति-पत्नी के बीच संबंध अच्छे नहीं थे। शादी को 11 साल का वक़्त बीत चुका था, दोनों के दो बच्चे थे। बेटी 7 साल की थी जबकि बेटा 5 साल का था।

पहले ही तय कर दिया था नहीं रहेगी करवाचौथ का व्रत

पुलिस को ये भी पता चला कि पति की मारपीट से तंग आकर पत्नी बसंती का चक्कर अपने से 9 साल छोटे गांव के ही लड़के मनीष से हो गया था। मनीष ITI का छात्र था, परीक्षित की गैरहाजिरी में अक्सर मनीष बसंती के पास आया करता था। मनीष के आने से पहले बसंती दोनों बच्चों को खेलने के लिए भेज दिया करती थी।

बसंती मनीष को बताती थी कैसे उसका पति परीक्षित आए दिन उसके साथ मारपीट करता है। उसने मनीष को यहां तक कह दिया था कि इस बार वो अपने पति के नाम का करवाचौथ व्रत नहीं रखेगी। बसंती ने मनीष को इशारों में साफ कर दिया था कि वो परीक्षित को रास्ते से हटा दे और इसमें वो उसका पूरा साथ देगी।

आखिरकार वो दिन भी आ गया जो परीक्षित का आखिरी दिन साबित हुआ। 4 सितंबर को परीक्षित नशे में धुत्त होकर घर पहुंचा और सो गया। उसने बहुत ज्यादा नशा किया था जिसकी वजह से वो होश में नहीं था। बसंती को ये मौका ठीक लगा उसने प्रेमी मनीष को फोन कर बुलाया।

दोनों ने मिलकर परीक्षित को गला दबाकर मौत के घाट उतार डाला। जिस वक्त ये वारदात को अंजाम दिया गया बच्चों को मोबाइल देकर गेम खेलने पर लगा दिया गया था। परीक्षित का कत्ल हो चुका था और लाश घर के अंदर पड़ी हुई थी।

मरे हुए पति के साथ सो रही थी बसंती

परीक्षित को मौत के घाट उतारने के बाद मनीष और बसंती उसकी लाश को ठिकाने लगाना चाहते थे लेकिन अकेले मनीष के बस का नहीं था कि वो परीक्षित की लाश को निपटा सकता लिहाजा लाश को घर में ही छोड़ दिया गया।

किसी को शक न हो इसलिए बसंती ने परीक्षित की लाश को चादर ओढ़ा दी और खुद भी उसके बराबर में सो गई ताकि बच्चों को शक न हो कि उनके पिता का कत्ल हो चुका है।

जब सुबह परीक्षित नहीं उठा तो बच्चों ने बसंती से इसके बारे में पूछा तो उसने कहा कि उनके पिता की तबीयत खराब है और वो दोनों उन्हें परेशान ना करें। इसके बाद पूरे दिन लाश कमरे में ही पड़ी रही और बसंती अपने कामों में लगी रही। रात के वक्त मनीष अपने एक दोस्त रविन्द्र के साथ बसंती के पास पहुंचा।

दोनों ने परीक्षित की लाश को बाइक पर बीच में बैठाया और फिर ठिकाने लगाने के लिए निकल पड़े। रास्ते में एक बार लाश गिर भी पड़ी तो उन्होंने दोबारा लाश को बाइक पर लाद दिया। इसके बाद ये मौका-ए-वारादत से करीब 4 किलोमीटर दूर एक नहर पर पहुंचे और वहां से इन्होंने लाश नहर में फेंक दी और वापस आ गए।

अगर परीक्षित की लाश नहर में आगे बह जाती तो इस केस का खुलना मुश्किल होता लेकिन लाश डूबने के बजाय ऊपर आ गई और इस केस से आखिरकार पुलिस ने पर्दा हटा ही दिया।

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