Asad Encounter Story : अतीक अहमद के बेटे असद का एनकाउंटर कैसे हुआ. उमेश पाल मर्डर केस में कैसे अतीक का असली चेहरा बेनकाब हुआ था. कैसे विदेश में पढ़ने की चाहत रखने वाला असद कातिल बन गया. अपने बाप की काली कारिस्तानियों की वजह से वो विदेश तो नहीं जा सका लेकिन देश में ही जुर्म का बादशाह बन गया. ये वही असद था जिसे कुछ दिन पहले ही अतीक ने अपनी बीवी शाइस्ता से बात करते हुए शेर का बेटा कहा था. लेकिन कहते हैं ना कि जुर्म की दुनिया शुरुआत चाहे जैसे हो अंत हमेशा एक जैसा ही होता है. आखिर असद का अंत भी वही हुआ. जैसे बड़े बड़े अपराधियों का हुआ है. वो भी एनकाउंटर में मारा गया. अतीक के बेटे असद के एनकाउंटर को यूपी एसटीएफ ने कैसे अंजाम दिया. आइए जानते हैं देश के सबसे जाने माने और अनुभवी क्राइम रिपोर्टर शम्स ताहिर खान से. असद के एनकाउंटर पर शम्स ताहिर खान की ये विशेष रिपोर्ट..
Asad Encounter : 49 दिनों तक चकमा देने वाला असद कैसे 49 सेकेंड में एनकाउंटर में मारा गया, असद एनकाउंटर की असली कहानी
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13 Apr 2023 (अपडेटेड: Apr 13 2023 10:51 PM)
UP Asad Encounter : यूपी में असद का एनकाउंटर कैसे हुए. UP STF को कैसे मिला असद का सुराग. जानिए Shams Tahir Khan की इस रिपोर्ट से.
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उमेश पाल शूटआउट के बाद से ही UP STF की कई टीमें एक साथ पांच शूटरों की तलाश में थी। पर इनमें सबसे अहम टारगेट था अतीक अहमद का बेटा असद। ये तस्वीर याद होगी आपको। शूटआउट के इस वीडियो में नजर आ रहे इस शख्स को शुरू से ही असद बताया जा रहा था। खुद यूपी पुलिस इस पर खामोश थी। लेकिन शूटआउट में असद की भूमिका को लेकर उसे पूरा यकीन था। शूटआउट के बाद असद शुरुआत में यूपी ही था। असद के बारे में यूपी एसटीएफ को पहली पुख्ता जानकारी तब मिली, जब मेरठ में गुड्डूमुस्लिम के वो ठिकाने तक पहुंची।
दिल्ली और राजस्थान भागा, ऐसे STF ने सुराग लगाया
Asad Encounter Full Story : मेरठ में जिस जगह गुड्डू मुस्लिम छुपा था, उसके तार अतीक अहमद के साले अखलाक से जुड रहे थे। अब एसटीएफ अखलाक तक पहुंचती है। अखलाक के जरिए ही पहली बार असद के ठिकानों की जानकारी मिलनी शुरू होती है। पता चला कि असद दिल्ली के संगम विहार इलाके में छुपा है। एसटीएफ की टीम संगम विहार पहुंचती है। लेकिन शायद असद को इसकी भनक लग चुकी थी। एसटीएफ के आने से पहले ही वो दिल्ली से निकल भागता है। दिल्ली से असद राजस्थान का रुख करता है। वो तमाम सफर सडक के रास्ते ही कर रहा था। इस दौरान वो ना सिर्फ सिमकार्ड बल्कि फोन भी बदलता जा रहा था। राजस्थान के छोटे-मोटे इलाकों से होता हुआ वो आखिरकार अजमेर पहुंचता है।
ऐसे STF ने झांसी में किया असद-गुलाम का एनकाउंटर
अजमेर में भी असद का लोकेशन पता चल जाता है। वजह ये थी कि फरारी के दौरान जिन चंद लोगों के साथ असद संपर्क में था, एसटीएफ उनके संपर्क में थी। और उनमें एक अखलाक था। पर बदनसीबी से एसटीएफ की टीम जब अजमेर पहुंचती है, तो असद एक बार फिर एसटीएफ को चकमा देकर वहां से निकल भागता है। इसके बाद कई दिनों तक असद का लोकेशन पता नहीं चलता। लेकिन एसटीएफ की कई टीमें एक साथ कई जगहों पर उसकी तलाश में भटक रही थी। गुरुवार यानी 13 अप्रैल की सुबह अचानक एसटीएफ की एक टीम को जानकारी मिली कि असद झांसी से गुजर रहा है। मोटरसाइकिल पर। इसी के बाद झांसी में मौजूद एसटीएफ की एक टीम ने उसका पीछा करना शुरू किया। झांसी से 30 किलोमीटरदूर बड़ागांव और चिरगांव के पास आखिरकार असद और एसटीएफ की टीम का आमना सामना हुआ। पर आमने सामने के इस एनकाउंटर में ही असद ढेर होगया। और उसका साथी गुलाम भी इस एनकाउंटर में मारा गया।
चोरी की बाइक से भाग रहा था असद
यूपी एसटीएफ के मुताबिक, जिस बाइक डिस्कवर पर असद सवार था, वो चोरी की है। असद और गुलाम के पाससे अत्याधुनिक विदेशी हथियार, ब्रिटिश बुलडॉग रिवॉल्वर 455 बोर, वाल्थर पी 88 पिस्टल 7.63 बोर और कुछ कैश भी बरामद हुआ।
असद का ऐसे हुआ एनकाउंटर
पुलिस सूत्रों की मानें तो एसटीएफ को दोपहर साढे 12 से 1 बजे के बीच झांसी के परीछा बांध के नजदीक से असद और गुलाम मोहम्मद के एक बाइक से गुजरने की खबर मिली। जिसके बाद पुलिस ने दोनों की गिरफ्तारी के लिए घेरेबंदी की। लेकिन हथियारों से लैस दोनों ही शूटर्स ने पुलिस की बात मान कर खुद को कानून के हवाले करने की जगह उन पर फायरिंग कर दी, जिसके बाद पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की और इस कार्रवाई में असद और गुलाम मोहम्मद दोनों पहले जख्मी हुए और फिर मारे गए।
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