ISIS खुरासान, ISIS का ही एक हिस्सा है, जिसे अफगानिस्तान-पाकिस्तान के आतंकवादी चलाते हैं। इसका मुख्यालय अफगानिस्तान का नांगरहार राज्य है, जो पाकिस्तान के बेहद नजदीक है। तालिबानी कमांडर मुल्ला उमर की मौत के बाद तालिबान के बहुत से खूंखार आतंकवादी ISIS खुरासान में शामिल हो गए। इस तरह ये तालिबान से ही निकला ग्रुप कहा जा सकता है, जिसका मकसद खुरासान राज्य की स्थापना करना है। ISIS खुरासान की अमेरिका से दुश्मनी क्यों और कैसे शुरू हुई। ये समझने से पहले आपको फारसी शब्द खुरासान को समझना होगा। जिसका मतलब होता है, जहां से सूरत उगता है। तीसरी-चौथी सदी में अरब से निकले लोग आज के ईरान पहुंचे। जहां वो आबाद हुए उसका नाम खुरासान पड़ा, जिसका दायरा बढ़ता गया और वो एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरा।
कितना बड़ा खतरा है ISIS - K आतंकी संगठन क्या इसे मिल रहा है तालिबान का सपोर्ट ? अमेरिका से इसकी दुश्मनी नई नहीं
27 Aug 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:04 PM)
Afghanistan में ISIS के हमले से उसके तालिबान के साथ होने की आशंका, America की ISIS से पुरानी दुश्मनी, Afghanistan become house of multiple terrorist groups. Read more crime news in Hindi on CrimeTak
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बाद में बगदादी की नजर खुरासान पर पड़ी और उसने आतंक का खुरासान नक्शा तैयार किया। इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान के नक्शे में भारत का गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और जम्मू कश्मीर आता है। वहीं इसमें आधा चीन, पाकिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान. किर्गिस्तान आता है।
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अमेरिका ने पहली की AIR STRIKE फिर इसके मुख्यालय पर गिराया था गैर-परमाणु बम
लेकिन अमेरिका से इसकी दुश्मनी कई साल पहले शुरू हुई जब अमेरिका ने इसे तालिबान से बड़ा खतरा मानते हुए इसपर एयरस्ट्राइक शुरू की। इन हमलों की वजह से ISIS-K की ताकत काफी कमजोर हो गई। अमेरिकी हमलों की वजह से साल 2016 तक ISIS-K में 1500 से 2000 आतंकवादी ही बचे थे, लेकिन 13 अप्रैल 2017 को अमेरिका ने इस आतंकवादी संगठन को सबसे बड़ी चोट पहुंचाई और उसके ठिकाने पर सबसे बड़ा गैर-परमाणु बम गिरा दिया।
अमेरिका ने अफगानिस्तान के नांगरहार राज्य में मदर ऑफ ऑल बम को ISIS-K मुख्यालय के ठीक ऊपर गिराया जिसमें तीन दर्जन से ज्यादा आतंकवादी एक झटके में मारे गए थे, लेकिन इसके बावजूद ये धीरे-धीरे एक बड़े आतंकवादी संगठन में तब्दील हो गया।
कई घटनाओं को अंजाम दिया है ISIS - K ने
साल 2020 में ISIS-K ने शिहाब अल-मुहाजिर को अपना नया लीडर घोषित कर अफगानिस्तान को दहला दिया। पिछले साल ISIS-K ने सिखों के गुरुद्वारे पर हमले के अलावा काबुल में एक महिला अस्पताल को भी निशाना बनाया। इस हमले में 24 महिलाओं और नवजात बच्चों की मौत हो गई। मरने वाली महिलाओं में ऐसी महिलाएं भी शामिल थीं जो कुछ ही देर में बच्चों को जन्म देने वाली थीं।
तो क्या संगठन का तालिबान से संबंध है ?
इस घिनौनी हरकत को अंजाम देकर ISIS-K ने साबित कर दिया कि वो तालिबान से भी खूंखार आतंकी संगठन है। काबुल एयरपोर्ट में जो हुआ उसे जानकार खतरे की बड़ी घंटी करार दे रहे हैं, क्योंकि अफगानिस्तान आतंक के अलग-अलग संगठनों का केंद्र बन चुका है, जो आने वाले वक्त में पूरी दुनिया के लिए नासूर साबित हो सकता है। लेकिन सवाल फिर वही है कि क्या इस संगठन को तालिबान का सपोर्ट मिल रहा है या नहीं ?
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