नफ़रत में अंधा इंसान किस हद तक गुज़र सकता है, ये कोई नहीं जानता। ये कहानी तामिलनाडु के डिंडिगुल इलाक़े की है, जहां नफ़रत में अंधे बीसियों लोग पिछले तीस सालों से कुछ ऐसा कर रहे हैं, जो सोचना भी मुश्किल है।
30 साल में 12 क़त्ल, हत्या के बाद काट कर ले जाते हैं वो सिर, तामिलनाडु की सबसे अजीब गैंगवार की कहानी
28 Sep 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:06 PM)
2 murders in 30 years, after the murder, they cut off the head, the story of the strangest gang war of Tamil Nadu serial killer news
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यहां दो गुटों के बीच ऐसी गैंगवार छिड़ी है, जिसमें एक-एक कर 12 लोगों की जान जा चुकी है। और इससे भी ज़्यादा अजीब और चौंकानेवाली बात ये है कि क़त्ल के इन मामलों में ज़्यादातर ऐसे हैं, जिनमें क़ातिल अपने दुश्मनों की जान लेने के बाद उसका सिर काट कर अपने साथ ले गए हैं।
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22 सितंबर को 70 साल की बुजुर्ग की हत्या
इसी कड़ी में सबसे ताज़ा वारदात 22 सितंबर को तब हुई, जब क़ातिलों ने 70 साल की एक महिला का ना सिर्फ़ क़त्ल कर दिया, बल्कि दाव जैसे खतरनाक हथियार से उसकी जान लेने के बाद उसका सिर काट कर अपने साथ ले गए।
पी. निर्मला देवी इस रोज़ सुबह अपने काम पर जा रही थी। तभी रास्ते में बाइक पर आए दो क़ातिलों ने उसे रोका और उस पर तेज़धार हथियार से ताबड़तोड़ हमला कर दिया। हमलावरों ने उसकी जान तो ली ही, जाते-जाते उसका सिर काट कर साथ ले गए।
दक्षिणी तामिलनाडु के इस इलाक़े में सिर काट कर ले जाने का ये चलन अब नया नहीं है। लिहाज़ा, जब बुधवार को डिंडिगुल में निर्मला देवी की सिर कटी लाश मिली, तो पुलिस का शक सीधे उसके विरोधी गुट पर ही गया।
महिला का कटा सिर नेता की तस्वीर पर चढ़ाया
छानबीन शुरू हुई और लोग तब हैरान रह गए, जब उन्होंने देखा कि क़ातिल निर्मला देवी का कटा हुआ सिर अपने मर चुके नेता पशुपति पांधियन की तस्वीर पर चढ़ा चुके हैं। असल में वो सिर दलित नेता पांधियन के घर के बाहर उनके पोस्टर के नीचे रखा मिला, जिसे क़ातिलों ने चढ़ावे के तौर पर अपने मर चुके नेता को अर्पित कर दिया था।
सीरियल किलिंग की शुरुआत 1993 से
बदले और सीरियल किलिंग की इस ख़ौफ़नाक सिलसिले की शुरुआत जनवरी 1993 को हुई, जब पशुपति पांधियन के लोगों ने दूसरे गुट के गैंगस्टर सुभाष पान्नियार के एक बुजुर्ग रिश्तेदार की हत्या कर दी थी।
इसके बाद तो दोनों गुटों के बीच ऐसी खूनी जंग की शुरुआत हुई, जिसमें अब तक 12 लोगों का क़त्ल हो चुका है। और हैरानी की बात ये है कि ज़्यादातर मामलों में क़ातिल ना सिर्फ़ अपने दुश्मनों की जान लेते हैं, बल्कि क़त्ल करने के बाद सिर काट कर अपने साथ ले जाते हैं।
इसी कड़ी में 10 जनवरी 2012 दलित नेता सी पशुपति पांधियन का भी क़त्ल कर दिया गया था। क़त्ल का इल्ज़ाम सुभाष पन्नियार और उसके गैंग पर लगा। फिलहाल क़त्ल के ये ज़्यादातर मामले कोर्ट में हैं।
लेकिन इससे पहले कि कोर्ट कोई फैसला करे, दोनों गुट अपने-अपने तौर पर अपने दुश्मनों को निपटाने में लगे हैं। इस तरह पिछले तीस सालों में एक-एक कर 12 लोगों का क़त्ल हो चुका है।
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