पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे पेरारीवेलन को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

SANJAY SHARMA

09 Mar 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:15 PM)

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्या के दोषी पेरारीवेलन को इस वजह से मिली जमानत Supreme court grants bail to Rajiv Gandhi assassination convict A G Perarivalan news

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SC grants bail to Rajiv Gandhi assassination convict A G Perarivalan : पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे पेरारीवेलन को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर रिहा करने की मंजूरी दे दी है. हत्या के दोषी पेरारीवेलन को पहले फांसी की सजा हुई थी लेकिन दया याचिका में देरी की वजह से बाद में सजा उम्रकैद में तब्दील हो गई थी. वो पिछले 30 साल से जेल में बंद था लेकिन पिछले कुछ दिनों परोल पर बाहर है.

बता दें कि टाडा अदालत और सुप्रीम कोर्ट ने पेरारीवेलन (A G Perarivalan) को मौत की सजा सुनाई थी। बाद में क्षमा यानी दया याचिका की सुनवाई में हुई देरी की वजह से उसकी मौत की सजा को उम्र कैद में बदल दिया गया था।

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तमिलनाडु सरकार ने उसकी उम्र कैद को भी खत्म कर रिहा करने के लिए रेजोल्यूशन पास किया था। अभी ये मामला गवर्नर और राष्ट्रपति के पास लंबित है। अब सुप्रीम कोर्ट ने पेरारीवेलन को जमानत दे दी है। कोर्ट ने कहा की जेल में रहते हुए उसके आचरण, शैक्षिक योग्यता और बीमारी के आधार पर जमानत दी जा रही है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यहां यह बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है कि राज्य सरकार द्वारा सजा में माफी की मंजूरी के बाद भी राज्यपाल याचिका पर कोई निर्णय नही ले रहे है।

Perarivalan Bail News : कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में ऐसा नहीं हो सकता कि कोई आदेश पारित किए बिना राज्यपाल ऐसे ही बिना निर्णय लिए बैठे रहें। कोर्ट ने कहा है कि हम जमानत पर रिहाई का आदेश पारित करेंगे।

वहीं पेरारिवेलन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि फिलहाल वह परोल पर अपने घर पर है। परोल की शर्तों के मुताबिक वह घर से बाहर नहीं निकल सकता। किसी से मिल नहीं सकता। मीडिया सहित किसी बाहरी व्यक्ति से बातचीत नहीं कर सकते। ऐसी स्थिति में उन्हें जमानत तो दी जा सकती है।

पहले इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा माफी पर फैसला लेने के बारे में पूछे जाने पर राज्य सरकार ने जवाब दिया था कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने इस मामले में राष्ट्रपति को अपना जवाब सौंप दिया है। उसमे कहा गया है कि इस मामले पर किसी भी तरह का फैसला लेने का अधिकार राष्ट्रपति के पास ही है।

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