Honey Trap में फंसकर ISI के लिए जासूसी करने वाले BrahMos के इंजीनियर को उम्रकैद की सजा

BrahMos Engineer Arrest: ब्रह्मोस के इंजीनियर निशांत अग्रवाल को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के इल्जाम में नागपुर की एक अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। IIT रोपड़ से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले निशांत को पाकिस्तानी एजेंसी ने हनीट्रैप में फंसा कर खुफिया जानकारी इकट्ठा की थी।

CrimeTak

• 10:40 AM • 04 Jun 2024

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Nagpur, Maharashtra: ब्रह्मोस एयरोस्पेस (BrahMos Aerospace) के पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल को नागपुर की एक अदालत ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के इल्जाम में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। DRDO के वैज्ञानिक और ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के इंजीनियर रह चुके निशांत अग्रवाल को 8 अक्तूबर, 2018 में गिरफ्तार किया गया था। 

Honey Trap में फंसा इंजीनियर

सोमवार को DRDO के वैज्ञानिक और पूर्व ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंजीनियर निशांत अग्रवाल को नागपुर की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। निशांत पर आरोप था कि हनी ट्रैप में फंस कर इस भारतीय काबिल इंजीनियर ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारी और पाकिस्तानी एजेंटों के हनीट्रैप में फंसने के बाद ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में जानकारी मुहैया कराई थी। उसके बाद निशांत अग्रवाल पर नागपुर के विशेष सेशन कोर्ट में मुकदमा चला।
आरोपी निशांत अग्रवाल को शासकीय गोपनीयता अधिनियम की धारा 3 और 5 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

यूपी और महाराष्ट्र ATS का ऑपरेशन

यूपी और महाराष्ट्र एटीएस ने 8 अक्टूबर 2018 को एक ऑपरेशन के तहत नागपुर के उज्ज्वल नगर इलाके में किराए पर रह रहे निशांत अग्रवाल के घर पर छापा मारकर उन्हें गिरफ्तार किया था। इसके बाद निशांत अग्रवाल पर सरकारी गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन करने का आरोप लगा।
निशांत अग्रवाल ब्रह्मोस मिसाइल के उत्पादन से जुड़ी कंपनी ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड के नागपुर स्थित कार्यालय में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत थे।उन्होंने कार्यालय के कंप्यूटर की अत्यंत गोपनीय जानकारी अपने घर के कंप्यूटर में इकट्ठा की थी।

दुश्मन को दी BrahMos की खुफिया जानकारी

एटीएस को संदेह था कि उन्होंने वह जानकारी दुश्मन को दी है। इस मामले में निशांत अग्रवाल को दोषी पाया गया है और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। आजीवन कारावास में उन्हें 14 साल के कठोर कारावास और 3,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। निशांत अग्रवाल ने IIT रोपड़ से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी। इसके बाद वह ब्रह्मोस एयरोस्पेस में इंजीनियर के तौर पर काम करने लगे। उनकी सबसे खासियत इसी बात को लेकर थी कि बहुत कम समय में ब्रह्मोस एयरोस्पेस में कई जरूरी पदों पर पदोन्नत किया गया और मिसाइल परियोजनाओं पर काम करने वाली टीम का एक जरूरी सदस्य बन गया।

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